जिला अस्पताल के हाल बेहाल, निरीक्षण के दौरान खाली मिले ऑक्सीजन सिलेंडर

जिला अस्पताल के हाल बेहाल, निरीक्षण के दौरान खाली मिले ऑक्सीजन सिलेंडर

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-13 06:19 GMT
जिला अस्पताल के हाल बेहाल, निरीक्षण के दौरान खाली मिले ऑक्सीजन सिलेंडर

डिजिटल डेस्क,शहडोल। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में लापरवाही के चलते BRD अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से कई बच्चों की मौत हो गई। ऐसी ही लापरवाही जिला के सबसे बड़े अस्पताल में देखने को मिली है। जहां अस्पताल में ऑक्सीजन का स्टॉक तो है,लेकिन उनके रख-रखाव व उपलब्धता में लापरवाही बरती जा रही है।

दरअसल शनिवार को अस्पताल के सर्जिकल वॉर्डों का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं थी। हालांकि वॉर्ड में इलेक्ट्रिक ऑक्सीजन कन्सट्रेटर रखा हुआ है, लेकिन मुख्य सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं होने की लापरवाही सामने आई है। बिना परीक्षण के खाली सिलेंडर को वार्डों में रखा जाना मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। जिला चिकित्सालय में आसपास के कई जिलों के हजारों मरीज इलाज कराने आते हैं।  हादसों व अन्य इमरजेंसी के दौरान अचानक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। कहने को इलेक्ट्रिक मशीन रखी है ,लेकिन यदि एक से अधिक मरीजों को एक साथ ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाए तो ये लापरवाही भारी पड़ सकती है।

अस्पताल में ऑक्सीजन का सबसे ज्यादा उपयोग ऑपरेशन थियेटर में होता है। जहां औसतन रोजाना 6-8 ऑपरेशन किए जाते हैं। इसके बाद गहन शिशु चिकित्सा इकाई एसएनसीयू में होता है, जहां प्रसव के बाद जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नवजातों के लिए उपयोग की जाती है। एसएनसीयू में जम्बो सिलेंडर के जरिए पाइप लाइन के माध्यम से प्रत्येक बेड में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। मेडिकल वॉर्ड में ऑक्सीजन सिलेंडरों की अधिक जरूरत पड़ती है। वहीं सर्जिकल में भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।सिविल सर्जन ने इस स्थिति को देखते हुए हिदायत दी है कि प्रत्येक वॉर्ड में प्रापर निरीक्षण करके ही सिलेंडर रखें।

15 लाख सालाना भुगतान
जिला चिकित्सालय के विभिन्न वार्डों में सालाना 15 लाख रुपए के ऑक्सीजन की खपत होती है। यहां 65 जम्बो सिलेंडर तथा 65-70 छोटे सिलेंडर की वार्डों में जरूरत पड़ती है। इसके अलावा स्टॉक में वर्तमान में 17 जम्बों व 6 छोटे सिलेंडर रखे हुए हैं। सिलेंडरों में ऑक्सीजन की रिफलिंग जबलपुर से कराई जाती है। खाली होने वाले सिलेंडरों को हर तीसरे दिन रिफिलिंग के लिए भेजा जाता है। मामले में सिविल सर्जन डॉ. एनके सोनी का कहना है कि प्रत्येक वार्डों में हर समय भरे हुए सिलेंडर ही रखे जाने के निर्देश दिए हैं। ऑक्सीजन की कमी जैसी कोई बात नहीं है। हमारे पास पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। 

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