मोदी-शाह की बैठक के बाद इस्तीफा, फडणवीस बोले- नफा-नुकसान बाद में सोंचेंगे 

मोदी-शाह की बैठक के बाद इस्तीफा, फडणवीस बोले- नफा-नुकसान बाद में सोंचेंगे 

Tejinder Singh
Update: 2019-11-26 13:10 GMT
मोदी-शाह की बैठक के बाद इस्तीफा, फडणवीस बोले- नफा-नुकसान बाद में सोंचेंगे 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश के बाद संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच बैठक हुई। जानकारी के अनुसार इन नेताओं के बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विकल्पों पर चर्चा हुई। साथ ही इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई कि देवेन्द्र फडणवीस को शक्ति परीक्षण का सामना करना चाहिए या इस्तीफा दे देना चाहिए। इस दौरान भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा और संगठन महामंत्री बीएस संतोष भी बैठक में मौजूद रहे। इन सूत्रों का कहना है कि बैठक के बाद देवेन्द्र फडणवीस को एक मैसेज भेजा गया। जिसमें पहले अजित पवार को इस्तीफा देने के लिए कहा जाए। उसके बाद वह अपना इस्तीफा दे दे। मीडिया से बातचीत में देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि अजित पवार ने कुछ कारणों से गठबंधन में रहने पर अपनी असमर्थता जताई जिसके कारण उन्होने अपने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देवेन्द्र फडणवीस ने भी अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की भी घोषणा कर दी और कुछ देर बाद राजभवन जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया।

अजित पवार ने की थी समर्थन की पेशकश

चार दिन पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को अपने इस्तीफे का एलान करते हुए कहा कि हमने राज्य में सरकार बनाने के लिए राकांपा विधायक अजित पवार से समझौता नहीं किया था उन्होंने खुद समर्थन देने की पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि अजित के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला गलत था या नहीं इस पर हम बाद में सोचेंगे। इस दौरान उन्होंने शिवसेना पर जमकर का हमला बोला। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे से पहले मंगलवार को राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में पत्रकारों से बातचीत में फडणवीस ने  कहा कि मुझे नहीं लगता है कि अजित के साथ जाने से मेरी छवि धुमिल हुई है। मैं जैसा हूं वैसा हूं। महाराष्ट्र की जनता मुझे जानती है। प्रदेश की जनता ने मुझे स्वीकार किया है। फडणवीस ने कहा कि अजित के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला प्रदेश स्तर पर लिया गया था। हमने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को केवल जानकारी दी थी। फडणवीस ने कहा कि अजित पवार के सिंचाई घोटाले से जुड़े मामलों की पांच साल तक सरकार में रहने के दौरान जांच हुई है। कई मामलों की जांच अदालत की निगरानी में शुरू है। फडणवीस ने कहा कि हमने पहले शिवसेना के साथ सरकार बनाने की कोशिश की थी लेकिन शिवसेना चुनाव बाद साथ आने को तैयार नहीं थी। इसके बाद शिवसेना को सरकार बनाने का मौका दिया गया। पर शिवसेना भी सरकार नहीं बना रही थी। राज्य में सरकार बनाना जरूरी था। इसलिए हमने अजित के साथ मिलकर सरकार बनाई। 

फडणवीस ने शनिवार सुबह अचानक मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर भी सफाई देते हुअ कहा कि राष्ट्रपति शासन हटने के बाद राज्यपाल के अधिकार खत्म हो जाते हैं। राज्य में किसी की सरकार नहीं रहेगी और राज्यपाल को अधिकार नहीं होंगे तो संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो सकती थी। इसलिए तत्काल शपथ लेना जरूरी था। फडणवीस ने कहा कि अजित ने इस्तीफा देते समय मुझसे कहा कि मैंने व्यक्तिगत कारणों से यह फैसला लिया है। इस्तीफा देने के लिए उन पर किसी का दबाव था या नहीं। यह वही बता सकते हैं। फडणवीस ने दावा किया कि अजित ने ही भाजपा को समर्थन देने के लिए पेशकश की थी। 

सोनिया के चरणों में नतमस्तक हुआ शिवसेना का हिंदुत्व

उन्होंने कहा कि शिवसेना अपने आप को हिंदुत्व वादी पार्टी कहती है। लेकिन यह बात अलग है कि शिवसेना का हिंदुत्व कांग्रेस की अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के चरणों में नतमस्तक है। सोमवार को हमने देखा कि शिवसेना के विधायक सोनिया जी के नाम पर शपथ ले रहे थे। फडणवीस ने कहा कि हमने पहले ही फैसला किया था कि भाजपा समर्थन के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त नहीं करेंगे। इसलिए भाजपा ने कभी किसी विधायक को तोड़ने की कोशिश नहीं की। हम पर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाने वाले सत्ता का अस्तबल ही खरीद लिया। 

अपने ही बोझ तले दब जाएगी यह सरकार 

फडणवीस ने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस तीनों पार्टियां मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में हैं लेकिन तीनों दलों की नई सरकार अपने ही बोझ तले दब जाएगी। नई सरकार तीन पहियों की ऐसी गाड़ी है जिसका कोई भी पहिया एक दिशा में नहीं चल सकता है। तीनों पहिए तीन दिशा में चलेंगे। महाराष्ट्र जैसे अग्रणी राज्य की क्या परिस्थिति होगी। इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। 
 

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