जबलपुर से अचानक हाथरस कैसे पहुँच गई फोरेंसिक विशेषज्ञ पीडि़ता की नकली भाभी बन लोगों को भड़काने का आरोप

जबलपुर से अचानक हाथरस कैसे पहुँच गई फोरेंसिक विशेषज्ञ पीडि़ता की नकली भाभी बन लोगों को भड़काने का आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-11 12:34 GMT
जबलपुर से अचानक हाथरस कैसे पहुँच गई फोरेंसिक विशेषज्ञ पीडि़ता की नकली भाभी बन लोगों को भड़काने का आरोप

मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर का हाथरस केस से कनेक्शन
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
देश में हाथरस के जिस रेप केस को लेकर बवाल मचा हुआ है उसका कनेक्शन अब जबलपुर से भी जुड़ गया है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज के फार्मोकोलाजी विभाग की डिमांस्ट्रेटर चिकित्सक डॉ. राजकुमारी बंसल के ऊपर आरोप है कि वे घटना के बाद जबलपुर से हाथरस पहुँचीं और पीडि़ता की नकली भाभी बन गलत बयानबाजी कर लोगों को भड़काया। यही नहीं आरोप यह तक है कि डॉ. बंसल के नक्सली कनेक्शन हैं साथ ही उनके भीम सेना और अन्य ऐसे संगठनों से भी जुड़े होने की चर्चा है जो मौके पर पहुँचकर उग्र प्रदर्शन कर रहे थे। मेडिकल की डॉक्टर का अचानक कैज्युअल लीव लेकर शहर से 750 किलोमीटर दूर पहुँचकर पीडि़त परिवार से मिलना, वहाँ तीन दिन ठहरना कई सारे सवाल खड़े करता है। 
शनिवार दोपहर को जैसे ही यह मामला सामने आया कि उत्तर प्रदेश एसआईटी मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर की तलाश कर रही है तो कॉलेज परिसर में हड़कम्प मच गया। इस चर्चा के बाद डॉ. बंसल खुद सामने आईं और उन्होंने अपना पक्ष रखा। मेडिकल के डीन डॉ. प्रदीप कसार का कहना है कि यदि यह कदाचरण का प्रकरण बनता है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस मामले को लेकर कॉलेज में हड़कम्प मचा हुआ है कि कोरोना जैसी महामारी के दौर में सामान्य छुट्टी लेकर मेडिकल की डॉक्टर कैसे हाथरस पहुँची। सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ले ली।
मैं फोरेंसिक विशेषज्ञ होने और मानवता के नाते पहुँची- राजकुमारी डॉ बंसल ने हाथरस घटना के बाद मौके  पर अचानक पहुँचने, उनकी भूमिका पर सवाल उठाये जाने पर कहा कि मैं फोरेंसिक की विशेषज्ञ हूँ। हाथरस पहुँचकर देखना चाहती थी कि रेप का केस ऑनर किलिंग में कैसे तब्दील हो रहा है। रपट जो फोरेंसिक की देखना चाहती थी वह नहीं देख सकी। पीडि़त परिवार की आर्थिक मदद की और एक माह की सैलरी भी दी है। मानवता के नाते घटना के बाद मेरा मन कचोट रहा था। इसलिए अचानक मैंने कैज्युअल लीव 3 अक्टूबर को ली और आगरा होते  हुये वहाँ तक पहुँची। परिवार के कहने पर 3 दिनों तक रुकी रही। इस दौरान अनेकों लोगों से चर्चा हुई और संपर्क हुआ। कोरोना महामारी के दौर  में ऐसी संदिग्ध  मानव सेवा को लेकर लगाये जा रहे आरोप पर उन्होंने कहा कि कॉलेज के सामने वे अपना पक्ष रख  देंगी। जो भी बात है उससे अवगत जरूर कराऊँगी। सच्चाई जो है उससे अवगत कराने में मुझे कोई ऐतराज नहीं है। 
सामाजिक संगठनों से जुड़ी हूँ  
नक्सलियों से सम्पर्क की बात पर डॉ. बंसल ने  कहा कि यह केवल आरोप है। कोई कुछ भी आरोप लगा सकता है। यह जरूर है कि मेरे अनेकों  सामाजिक संगठनों से वर्ष 2018 से संबंध हैं और मैं सोशल वर्क से भी जुड़ी हुई हूँ। किसी तरह से दंगा भड़काने की साजिश रचने, नकली भाभी बनने, नक्सल संबंध यह कोई जबरन आरोप लगा दे तो कोई क्या कर सकता है।
उत्तर प्रदेश एसआईटी का आया था फोन 
डॉ. बंसल के पास गत दिवस एसआईटी के अधिकारियों का फोन आया था, जिसमें उन्होंने पूछा कि वे किस विधा की डॉक्टर हैं। कहीं पीएचडी तो नहीं किया। तब डॉक्टर ने बताया कि मूल रूप से वे चिकित्सक हैं। पुलिस ने उन्हें फोन पर संपर्क में रहने की हिदायत दी है। वैसे हाथरस में मौजूद रहने के दौरान पुलिस की उन पर नजर थी ।
पति निश्चेतना विशेषज्ञ खुद डिमांस्ट्रेटर 
डॉ. बंसल के पति मेडिकल कॉलेज में ही निश्चेतना विशेषज्ञ हैं। उनका नाम इंदर देव है। एक बेटा और खुद फोरेंसिक से एमडी लेकिन नौकरी फार्मोकालेजी विभाग में वर्ष 2018 से डिमांस्ट्रेटर के पद पर कार्य कर रही हैं। उन्होंने जबलपुर में ग्रेजुएशन किया और एमडी इंदौर से की है। 
 

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