किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं बेलबाग का यह शासकीय स्कूल, CCTV से लेकर सफाई तक हैं सारी व्यवस्थाएं

किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं बेलबाग का यह शासकीय स्कूल, CCTV से लेकर सफाई तक हैं सारी व्यवस्थाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-04 13:27 GMT
किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं बेलबाग का यह शासकीय स्कूल, CCTV से लेकर सफाई तक हैं सारी व्यवस्थाएं

डिजिटल डेस्क जबलपुर । घमापुर चौक से बेलबाग की ओर जाने वाले मार्ग पर ही स्थित है पूर्वी बेलबाग हाई स्कूल। सड़क किनारे ही स्कूल का मेन गेट लगा है, जहां स्वच्छता बनाए रखने कई नोटिस लगे हैं। इन्हीं के बीच स्लोगन चिपका है कि आप सीसीटीवी कैमरे की नजर में हैं। यह स्लोगन पढ़कर कुछ अजीब सा लगा क्योंिक केवल तीन सरकारी स्कूलों में शासन की ओर से कैमरे लगवाए गए हैं और उनमें बेलबाग स्कूल शामिल नहीं है। मेन गेट पर ताला है, जबकि छोटे गेट से प्रवेश दिया जाता है, ताकि वाहन अंदर न आ सकें। स्कूल में लंच का टाइम है कुछ बच्चे धूप में बैठकर अपना लंच बॉक्स खोलकर खा रहे हैं, तो वहीं स्कूल की गैलरी में सरकारी मध्यान्ह भोजन वितरित किया जा रहा था और बच्चे पूरी तरह अनुशासित होकर भोजन कर रहे थे। कुछ बच्चे मैदान में खेल रहे थे। आम सरकारी स्कूलों में जिस प्रकार का हो हल्ला मचता है वैसा कुछ यहां नहीं दिखा। बड़ा अचरज सा लगा कि ऐसा क्यों। तभी साउंड बॉक्स से आवाज  कि लंच टाइम खत्म हुआ सब कक्षाओं में जाएं। अब समझ आया कि कोई नजर यहां सबका पीछा करती है इसलिए माहौल अनुशासन का है।
बाउंड्री नहीं थी, स्कूल के अंदर से होती थी आवाजाही
वर्ष 2013 से पहले बेलबाग स्कूल में बाउंड्री वॉल नहीं थी। बस्तियों में आवाजाही के रूप में स्कूल के अंदर मार्ग बन गया था और धड़ल्ले से ऑटो, मोटरसाइकिलें और अन्य वाहन आते-जाते थे। इसी दौरान श्रीमती रुकमणि प्राचार्य के रूप में यहां आईं। उन्होंने नगर निगम, विधायक, पार्षद सबसे मिलकर स्कूल की समस्याओं को बताया। इसके बाद बाउंड्री का निर्माण हुआ। स्कूल के अंदर ही सामुदायिक भवन था, जहां कभी शादी तो कभी तेरहवीं होती थी। इससे स्कूल स्कूल नहीं रह जाता था। बाद में इस पर रोक लगी।
छात्राओं के परिजन रहते थे दहशत मे
यहां पढऩे वाली छात्राओं के परिजन दहशत में रहते थे  क्षेत्र में आपराधिक वारदातें बहुत होती थीं, यही कारण था कि प्राचार्य ने सीसीटीवी कैमरे लगवाए। इसकी भी कहानी है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा प्रत्यूष इंजीनियरिंग करने इच्छुक था। इसमें  निजी कॉलेजों में जमकर डोनेशन देना पड़ता है इसलिए प्राचार्य ने कुछ रुपए जोडऩे शुरू किए। बेटे की मेहनत रंग लाई और उसका प्रवेश शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया जहां इतने रुपए नहीं लगते। रुपए बचे तो उन्होंने स्कूल में कैमरे लगवा दिए।
तीन सालों से दसवीं का परिणाम शून्य था वर्ष 2014 से तीन साल पहले तक इस स्कूल में दसवीं का कोई विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं हो पा रहा था, शिक्षकों को इंक्रीमेंट नहीं मिल पा रहे थे। प्राचार्य ने कैमरे लगवाए तो स्कूल का माहौल सुधरा और बाकी शिक्षक भी पढ़ाई पर ध्यान देने लगे। इसके बाद स्कूल में दसवीं के 84 फीसदी बच्चे उत्तीर्ण हुए।
सुबह से देर रात तक  स्कूल पर ही नजर
 प्राचार्य ने स्कूल पर नजर रखने के लिए मोबाइल में भी एप डाउनलोड किया है और सुबह उठते ही वे सबसे पहले स्कूल को देखती हैं। इसके बाद रात 12 बजे तक वे नजर रखती हैं और कई बार उन्होंने देखा कि स्कूल के अंदर यदि कोई पहुंच गया है तो सीधे थाने फोन कर पुलिस को भेजती हैं। यही कारण है कि अब असामाजिक तत्व भी स्कूल से दूर ही रहते हैं।
जो किया बच्चों की भलाई के लिए किया
 मैं स्कूल में झाड़ू भी लगा देती हूं और प्रार्थना में ड्रम भी बजा देती हूं। हर बच्चे पर नजर रखती हूं। मुझे हर हाल में बच्चों की बेहतरी देखनी थी और यही मैंने किया। जैसे मेरा बेटा है वैसे ही यहां पढऩे वाला हर बच्चा मुझे अपना लगता है।
-श्रीमती रुकमणि कनोजिया प्राचार्य शासकीय पूर्वी बेलबाग हाई स्कूल

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