राज्यपाल भगतसिंह ने कहा- देश में श्रीराम का स्थान अमूल्य

राज्यपाल भगतसिंह ने कहा- देश में श्रीराम का स्थान अमूल्य

Tejinder Singh
Update: 2021-01-16 10:29 GMT
राज्यपाल भगतसिंह ने कहा- देश में श्रीराम का स्थान अमूल्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर निर्माण सराहनीय बात है। प्रभु श्रीराम का स्थान युगों-युगों से है। रामायण से पता चलता है कि पूरे देश को किस तरह एकसूत्र में बांधा गया है। इसीलिए प्रभु श्रीराम केवल व्यक्ति अथवा देवता नहीं, बल्कि एक राष्ट्र है, राष्ट्रदेवता हैं। यह बात राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कही।अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि में भव्य मंदिर निर्माण कार्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की ओर से किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में आम जनता की भागीदारी के लिए न्यास की ओर से घर-घर जाकर निधि समर्पण का कार्यक्रम 15 जनवरी से शुरू किया गया जो 15 फरवरी तक चलेगा। विदर्भ प्रांत निधि समर्पण अभियान का शुभारंभ पोद्दारेश्वर राम मंदिर में महाआरती से हुई। इस अवसर पर बतौर प्रमुख अतिथि राज्यपाल बोल रहे थे। 500 भक्त अपने हाथों में आरती दीपक के साथ महाआरती में शामिल हुए। महाआरती के पश्चात महामहिम कोश्यारी जी एवं श्रदेय अवधेशानंदजी जी महाराज ने आशीर्वचन भी दिया. पूरे मंदिर को सुंदर रोशनाई एवं केसरी धर्मध्वज से सजाया गया था । राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि प्रभु श्रीराम का चरित्र सागर जैसा मजबूत और हिमालय की तरह धैर्यवान है। तमिलनाडु के रामायण में ऐसे प्रभु श्रीराम के दर्शन होते हैं। प्रभु श्रीराम संपूर्ण देश के है। प्रभु श्रीराम के मंदिर के साथ ही राम राज्य भी लाना है। जब प्रत्येक राम भक्त यह ठान लेगा कि मुझे राम राज्य लाना है और उसके लिए प्रयास करने पर ही यह संकल्प पूर्ण होगा। राम राज्य की दिशा में देश बढ़ रहा है। जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी, राष्ट्रसेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का, महानगर संघचालक राजेश लोया, महापौर दयाशंकर तिवारी का स्वागत मंदिर प्रशासन की ओर से किया गया। विवेक धाक्रस ने संगीतमय गीता प्रदान की। इस अवसर पर प्रवीण दटके, विधायक विकास कुंभारे, श्रीकांत आगलावे उपस्थित थे।

1 लाख रुपए का धनादेश

श्री पोद्दारेश्वर राम मंदिर की ओर से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निधि समर्पण अभियान के लिए 1 लाख रुपए का धनादेश जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज को सौंपा गया।

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