पाली भाषा को लेकर हाईकोर्ट ने केंद्र व UPSC को थमाया नोटिस, मांगा जवाब

पाली भाषा को लेकर हाईकोर्ट ने केंद्र व UPSC को थमाया नोटिस, मांगा जवाब

Anita Peddulwar
Update: 2018-03-22 06:54 GMT
पाली भाषा को लेकर हाईकोर्ट ने केंद्र व UPSC को थमाया नोटिस, मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क,नागपुर । हाईकोर्ट ने पाली भाषा को लेकर दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार व यूपीएससी को नोटिस भेजा है। बता दें कि पाली भाषा को राष्ट्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शामिल करने के लिए डॉ. भालचंद्र खांडेकर ने दूसरी बार बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की शरण ली है। इस जनहित याचिका पर  हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और यूपीएससी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

पहले ही सकारात्मक निर्णय लेने के लिए कहा था
पूर्व में हुई सुनवाई में अदालत ने यूपीएससी को पाली भाषा के पुनर्समायोजन की दिशा में सकारात्मक निर्णय लेने को कहा था, जिसके बाद यूपीएससी ने अदालत को जानकारी दी थी कि पी.एस.बासवान की अध्यक्षता में गठित समिति इस दिशा में काम कर रही थी। इस नई जनहित याचिका में कहा गया है कि बी.एस.बासवान की अध्यक्षता वाली समिति ने 16 अगस्त 2016 को केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें पाली भाषा को यूपीएससी परीक्षा में शामिल करने की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र ने इस पर अमल नहीं किया। केंद्र हर बार याचिकाकर्ता को निणर्य लंबित होने की जानकारी ही देता रहा। जिसके बाद उन्होंने यह याचिका दायर की है। पाली भाषा को आठवें शेड्यूल में अन्य 22 भाषाओं के साथ शामिल करने के लिए याचिकाकर्ता ने एक और जनहित याचिका कोर्ट में दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. शैलेश नारनवरे ने पक्ष रखा। 

यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार पाली भाषा देश की प्राचीनतम भाषा है। भगवान गौतम बुद्ध का तत्वज्ञान "त्रिपिटक" पाली भाषा में ही है। साथ ही इस भाषा के लाखों विद्यार्थी हैं। ऐसे में यूपीएससी ने पाली भाषा को परीक्षा से हटाकर विद्यार्थियों का नुकसान किया है। पाली भाषा को परीक्षा में फिर शामिल करने की मांग याचिका में की गई है। देश-विदेश के करीब 55 विश्वविद्यालयों में यह भाषा सिखाई जाती है। इसी महत्व को देखते हुए यूपीएससी परीक्षा में वर्ष 1981 से पाली भाषा को विषय के रूप में शामिल किया गया, लेकिन 5 मार्च 2013 अधिसूचना जारी कर यूपीएससी ने परीक्षा से पर्शियन, फ्रेंच, चाइनीज और जर्मन के साथ-साथ पाली भाषा को भी हटा दिया। उस वक्त भी यूपीएससी के इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी।  


 

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