पति की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा रद्द, मृत्यु पूर्व बयान में अंतर आने से फैसला बदला

पति की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा रद्द, मृत्यु पूर्व बयान में अंतर आने से फैसला बदला

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-18 06:21 GMT
पति की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा रद्द, मृत्यु पूर्व बयान में अंतर आने से फैसला बदला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पति को जलाकर जान से मारने के आरोप में जिला सत्र न्यायालय द्वारा महिला को सुनाई गई उम्रकैद की सजा हाईकोर्ट के नागपुर बेंच ने रद्द कर दी है। पहले लिया गया बयान और मृत्यु पूर्व बयान में अंतर आने से हाईकोर्ट ने सजा रद्द करने का फैसला सुनाया। 

ये है मामला 
मृतक का नाम इंद्रजीत वानखेड़े और दोषमुक्त महिला का नाम आशा वानखेड़े अमरावती जिला के नेर पिंगाई निवासी है। दोनों का विवाह सन् 1995 में हुआ था। उनकी 3 साल की बेटी है। आशा और इंद्रजीत के बीच छोटे-छोटे कारणों से विवाद हाेते रहते थे। पति के साथ विवाद के चलते आशा एक साल से अपने मायके चली गई थी। इंद्रजीत पत्नी को लेने के लिए अनेक बार ससुराल गया, परंतु आशा उसके साथ जाने के लिए मना करती रही। 2 सितंबर 1997 को जब इंद्रजीत उसे लेने के लिए गया, तब भी आशा ने जाने से मना किया, लेकिन इंद्रजीत उसे साथ ले जाने पर अड़ा रहा। बार-बार मना करने पर भी इंद्रजीत मानने के लिए तैयार नहीं था। तब आशा और उसकी माता सुशीला हिवराले ने मिलकर इंद्रजीत के शरीर पर केरोसिन डाल कर आग लगा दी। आग में झुलसा इंद्रजीत स्वयं अस्पताल पहुंचा।

हाईकोर्ट ने बदला फैसला
डॉक्टर ने उसका बयान लिया और पुलिस को सूचित किया। शिरखेड़ पुलिस अस्पताल पहुंची और उसका बयान दर्ज की। हालत बिगड़ने पर उसे अमरावती जिला सामान्य अस्पताल भेजा गया। 61 प्रतिशत जलने से उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मरने से पहले पुलिस ने उसका पुन: बयान लिया। पहले और मृत्यु पूर्व बयान में अंतर था। इंद्रजीत को जलाकर जान से मारने के आरोप में पुलिस ने आशा और सुशीला को गिरफ्तार किया था। अमरावती जिला सत्र न्यायालय ने सुशीला को दोषमुक्त किया और आशा को भादंवि की धारा 302 के अनुसार दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आशा ने इसे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में चुनौती दी। मृतक के पहले और मृत्यु पूर्व बयान में अंतर रहने से हाईकोर्ट ने जिला सत्र न्यायालय का निर्णय को रद्द कर आशा को उम्रकैद की सजा से दोषमुक्त किया। आरोपी की ओर से एड. राजेंद्र डागा ने अदालत में पैरवी की।

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