अपनी पत्नी का रेप करवाने वाले पति को नौ महीने बाद हाईकोर्ट से मिली राहत 

अपनी पत्नी का रेप करवाने वाले पति को नौ महीने बाद हाईकोर्ट से मिली राहत 

Tejinder Singh
Update: 2020-09-30 13:29 GMT
अपनी पत्नी का रेप करवाने वाले पति को नौ महीने बाद हाईकोर्ट से मिली राहत 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी तरह के एक अनोखे मामले में दुष्कर्म के आरोपी को नौ माह बाद जमानत प्रदान की है। इस मामले में पत्नी ने अपने पति पर रेप करवाने का आरोप लगाया है। पत्नी की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी पति व अन्य के खिलाफ 17 दिसंबर 2020 को भारतीय दंड संहिता की 376,376ई,354 ए सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। पत्नी की शिकायत के मुताबिक जून 2017 को रात दस बजे वह अपने पति के साथ घर से बाहर निकली थी। कुछ दूर पैदल चलने के बाद उसके पति का एक साथी कार लेकर आ गया। जिसमें उसकी पत्नी भी थी। दोस्त के आग्रह पर शिकायतकर्ता कार में बैठ गई। इस दौरान उसका पति भी उसके साथ था। कुछ देर बाद उसके पति के दोस्त ने उसे आगे की सीट पर आने को कहा। वह पति के कहने पर कार की आगे की सीट पर बैठ गई। 
 
शिकायत के अनुसार इस दौरान उसके पति के दोस्त ने अनुचित तरीके से स्पर्श किया। कुछ समय बाद कार मलाड इलाके में पहुंच गई। जहां वे एक फ्लैट में गए। इस दौरान उसके पति के दोस्त ने उससे जबरन संबंध बनाए। जबकि उसका पति फ्लैट के बाहर खड़ा रहा। सारी बात पति को बताई। लेकिन उसके पति ने उसे चुप रहने को कहा और कहा कि आगे ऐसा नहीं होगा। पर यह सिलसिला थमा नहीं। शिकायतकर्ता ने इस घटना की जानकारी अपने ससुर को भी दी पर उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। शिकायतकर्ता का आरोपी के साथ साल 2003 में विवाह हुआ था। उसके दो बच्चे भी हैं। शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। तब से वह जेल में है।

न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने जिस घटना का ज़िक्र किया है वह जून 2017 की है और शिकायत काफी देरी से दिसंबर 2019 में दर्ज कराई गई है। पूरा मामला सहमति का है। इसके अलावा जिसने दुष्कर्म किया उसे जमानत मिल गई है। मामले की जांच पूरी हो गई है, पुलिस ने आरोपपत्र भी दायर कर दिया है। इसलिए आरोपी को जमानत प्रदान की जाए। 

वहीं शिकायतकर्ता की वकील ने कहा कि मेरी मुवक्किल डिस्लेक्सिया से पीड़ित हैं। इसलिए उनकी सहमति का कोई अर्थ नहीं है। दुष्कर्म की घटना के बाद मुवक्किल अपने उपचार में लगी थी। इसलिए शिकायत करने में देरी को लेकर सवाल उठाना उचित नहीं है। यह मामला बेहद गंभीर है। 
 
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि एफआईआर में शिकायतकर्ता की बीमारी का उल्लेख नहीं है। मामले से जुड़े दूसरे आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। प्रकरण की जांच भी पूरी हो चुकी है। प्ररकरण से जुड़े सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने आरोपी को 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी। न्यायमूर्ति ने आरोपी को शिकायतकर्ता पर किसी भी तरह का दबाव न बनाने व नियमित रुप से मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया। 
     
 
 
 

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