लोकपाल और टीपीए की भी नहीं सुन रहीं बीमा कंपनियाँ - मनमानी से परेशान हो रहे बीमा धारक, कहीं भी नहीं मिल रही राहत

लोकपाल और टीपीए की भी नहीं सुन रहीं बीमा कंपनियाँ - मनमानी से परेशान हो रहे बीमा धारक, कहीं भी नहीं मिल रही राहत

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-10 12:03 GMT
लोकपाल और टीपीए की भी नहीं सुन रहीं बीमा कंपनियाँ - मनमानी से परेशान हो रहे बीमा धारक, कहीं भी नहीं मिल रही राहत

डिजिटल डेस्क जबलपुर । प्रीमियम के रूप में जनता की गाढ़ी कमाई वसूलने वाली बीमा कंपनियाँ इतनी बेखौफ हो गई हैं कि वे अब लोकपाल और थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) की भी नहीं सुन रही हैं। लोकपाल की ओर से जारी किए जाने वाले आदेशों की भी बीमा कंपनियाँ परवाह नहीं कर रही हैं। कोरोना काल में हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि बीमा धारकों की कोई सुनने वाला ही नहीं है। सरकार ने बीमा कंपनियों को हेल्थ इंश्योरेंस के लिए लाइसेंस तो जारी कर दिया है, लेकिन बीमा क्लेम सुनिश्चित करने की पुख्ता व्यवस्था नहीं बनाई है। इसका फायदा बीमा कंपनियाँ उठा रही हैं। 
बीमा कंपनियाँ हेल्थ इंश्योरेंस कराने वालों को अपने एजेन्टों के जरिए बताती हैं कि उनकी कंपनी की क्लेम की प्रक्रिया बिल्कुल आसान है। क्लेम प्रस्तुत करने के कुछ ही घंटों में क्लेम स्वीकृत कर दिया जाएगा। आईआरडीएआई के नियमों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति क्लेम प्रस्तुत करता है और टीपीए द्वारा क्लेम का सत्यापन कर दिया जाता है तो उसका भुगतान कर दिया जाए। कंपनी के दावे उस समय खोखले साबित होते हैं, जब टीपीए द्वारा सत्यापित करने के बाद भी क्लेम का भुगतान नहीं किया जाता। बीमा धारक को कई बार कंपनी के दफ्तर के चक्कर  लगाने पड़ते हैं। 
अधिवक्ता मनीष मिश्रा का कहना है कि सरकार ने बीमा क्षेत्र में लोकपाल की व्यवस्था इसलिए की थी कि बीमा कंपनियों पर अंकुश लग सके। बीमा कंपनियाँ जब क्लेम देने से इनकार करें, तो बीमा धारक लोकपाल की शरण लेकर न्याय पा सके। बीमा लोकपाल द्वारा कंपनी और बीमा धारक का पक्ष सुनकर आदेश पारित किया जाता है। इसके बाद भी बीमा कंपनियाँ लोकपाल के आदेश का पालन नहीं करती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि लोकपाल के आदेश का पालन नहीं करने पर किसी भी प्रकार की दंड की व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि बीमा कंपनियों को लोकपाल का खौफ नहीं है। कई संगठनों ने लोकपाल को मजबूत करने की माँग करनी शुरू कर दी है। 
30 दिन में परिपालन रिपोर्ट अपलोड करने का प्रावधान 
बीमा लोकपाल के आदेश की परिपालन रिपोर्ट 30 दिन में वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक सर्वे से पता चला है कि  ज्यादातर कंपनियाँ लोकपाल के आदेश के परिपालन की रिपोर्ट अपलोड नहीं कर रही हैं। इससे पता ही नहीं चल पा रहा है कि कंपनियों ने लोकपाल के आदेशों का पालन किया या नहीं। वहीं दूसरी तरफ ज्यादातर बीमा धारक भी आदेश का पालन नहीं होने पर शिकायत नहीं दर्ज कराते हैं। इसका फायदा बीमा कंपनियाँ उठा रही हैं।
 

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