लोकसभा : शहर के बाहर हो डंपिंग यार्ड, राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का कार्य शुरु करने की मांग, महाराष्ट्र को कम राशि मिलने पर भी सवाल

लोकसभा : शहर के बाहर हो डंपिंग यार्ड, राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का कार्य शुरु करने की मांग, महाराष्ट्र को कम राशि मिलने पर भी सवाल

Tejinder Singh
Update: 2019-12-10 15:45 GMT
लोकसभा : शहर के बाहर हो डंपिंग यार्ड, राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का कार्य शुरु करने की मांग, महाराष्ट्र को कम राशि मिलने पर भी सवाल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वर्धा से भाजपा सांसद रामदास तडस ने लोकसभा में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत दी जाने वाली राशि को लेकर सवाल उठाया। मंगलवार को विशेष उल्लेख के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होने सरकार से मांग की कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना को आवंटित की जाने वाली उतनी ही निधि ग्रामीण के लिए भी दी जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत आवास निर्माण कार्य के लिए लाभार्थियों को 1.20 लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं जबकि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत लाभार्थियों को 2.50 लाख रुपये दिए जाते है। ग्रामीण क्षेत्र में आवास निर्माण कार्य का लागत मूल्य प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के मुकाबले काफी कम होने के कारण लाभार्थियों को आवास निर्माण कार्य में काफी असुविधा होती है। इसलिए शहरी और ग्रामीण आवास योजना के लिए एक समान निधि आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए उचित कार्यवाही कर ग्रामीण जनता के साथ न्याय किया जाए।  

वायु प्रदूषण को रोकने कोयले के डंपिंग स्थान को शहर के बाहर बनाया जाए

चंद्रपुर से सांसद सुरेश धानोरकर ने मंगलवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान अपने संसदीय क्षेत्र की प्रदूषण की समस्या की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए शहर के लोगों को ज़हरीले प्रदूषण से बचाने के लिए तत्काल रुप से आवश्यक कदम उठाए जाने का सरकार से आग्रह किया। साथ ही मांग की कि प्रदूषण की समस्या का सबब बन चुका कोयले का डंपिंग स्थान शहर से दूर बनाने के साथ पावर प्लांट के चिमनियों की ऊंचाई बढाई जाए। सांसद धानोरकर ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा जारी देश के सबसे प्रदूषित शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों का सेपी स्कोर का हवाला देते हुए बताया कि महाराष्ट्र के सबसे प्रदूषित शहरों में चंद्रपुर 76.41 स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर है। उन्होने कहा कि यहां वायु प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान कोयला, सीमेंट, चूना पत्थर, पेपर मिल, राईस मिल, थर्मल पावर स्टेशन से निकलने वाले ज़हरीले धुएं, डस्ट और कैमिकल्स का है। दूसरा और एक कारण यह है कि खदानों से कोयला ढोते समय वाहनों से जो धूल उड़ती है और उस कोयले को शहर और गांव के पास खुले स्थान पर डंपिंग किया जाना है। उन्होंने सदन को बताया कि चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन पिछले कई वर्षों से प्रदूषण के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है और शहर और आसपास के वातावरण को ज़हरीला बना रखा है। उन्होने सरकार से मांग की कि चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन समेत दूसरी कंपनियां जो नियमों का पालन नही कर रही है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और मानक के अनुसार चिमनियों की ऊंचाई बढ़ाई जाए।

राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का ठप्प पड़ा निर्माण कार्य जल्द शुरु किया जाए

बुलढाणा से सांसद प्रतापराव जाधव ने मंगलवार को लोकसभा में उनके संसदीय क्षेत्र गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का पिछले दो साल से निर्माण कार्य ठप्प होने की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया और मांग की कि आईएलएफएस कंपनी के बजाय किसी दूसरी कंपनी के माध्यम से इसका निर्माण का कार्य जल्द शुरु किया जाए। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होने सदन को बताया कि आईएलएफएस कंपनी को 2016 में एनएच-6 को बनाने का काम दिया गया, लेकिन वर्ष 2018 से इसका काम बंद पड़ा हुआ है। सड़क पूरी तरह उखड़कर रखने के कारण अब तक सड़क पर हुई हजारों दुर्घटनाओं में सैंकडों की जाने गई हैं। इसके अलावा सांसद जाधव ने अपने संसदीय क्षेत्र में नेशनल हाईवे के जो दूसरे काम चल रहे है उसकी गुणवत्ता के मसले की ओर भी सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होने कहा कि इन नेशनल हाईवे के कामों की निगरानी करने के लिए जो भी कंपनियां रखी गई हैं, उनके साथ-साथ वहां के कांट्रेक्टर्स की मिलीभगत से सड़को का निर्माण कार्य बहुत ही निचले दर्जे का हो रहा हैं। उन्होने सरकार से मांग की कि गलत काम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और आगे होने वाले सभी काम सही ढंग से हों यह सुनिश्चित किया जाए। किसानों को परेशानी न हो इसकी भी जिम्मेदारी संबंधित विभाग को लेनी चाहिए। 

अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र को पांच गुना धनराशि क्यों कम आवंटित की गई?

नाशिक से शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने मंगलवार को लोकसभा में पिछले तीन वर्षों में महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कों के निर्माण के लिए कम धनराशि आवंटित करने का मुद्दा उठाया। उन्होने सरकार से जब यह सवाल पूछा कि इन वर्षों के दौरान महाराष्ट्र को साढ़े तीन हजार रुपये, जबकि मध्यप्रदेश और बिहार को साढ़े पन्द्रह हजार दिए गए, धनराशि आवंटित करने में इतना फर्क क्यों? इस पर जवाब देने में सरकार को असहजता का सामना करना पड़ा। लोकसभा सदस्य गोडसे ने प्रश्नकाल के दौरान स्पष्ट रुप से यह जानना चाहा था कि राज्यों में धनराशि आवटंति करने में फर्क क्यों? इस पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने धनराशि आवंटन को लेकर पूछे सवाल का सीधा जवाब देने के बजाय उन्होने गढ़चिरोली की सड़कों के बारे में जानकारी दी। कहा कि गढ़चिरोली में 62 सड़के है, जहां समस्या आ रही है, वहां की जमीनों का या तो अधिग्रहण नही किया गया है या फिर नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्र होने के कारण वहां दिक्कत आ रही है। मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट सांसद गोडसे ने एक बार फिर अपने सवाल को दोहराया। गोडसे ने कहा कि वर्ष 2015 से 2018 तक महाराष्ट्र के लिए जो निधि आवंटित हुई है वह साढ़े तीन हजार हैं, जबकि मध्यप्रदेश और बिहार को साढ़े पन्द्रह हजार रुपये दिए गए। इतना फर्क क्यों? उन्होने यह भी जानना चाहा कि क्या 100 से 250 आदिवासी आबादी और 250 से 500 तक गैर आदिवासी जनसंख्या वाले गांवों को जोड़ने का सरकार का कोई नियोजन है? क्योंकि कम जनसंख्या वाले गांवों में अब भी कनेक्टिविटी नही है। इस पर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जवाब देने के लिए खड़े हुए, लेकिन केन्द्रीय मंत्री ने भी इसका सीधा जवाब नही दिया। उन्होने कहा कि सांसद की चिंता सड़कों के किलोमीटर के बारे में है। उन्होने कहा कि महाराष्ट्र को 6550 किलोमीटर और बिहार को 6162 किलोमीटर सड़क मिलेगी।
 


 

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