चलेगी केबल कार, मिलेगा ट्रैफिक जाम से छुटकारा

मोदी का बनारस या स्विट्जरलैंड चलेगी केबल कार, मिलेगा ट्रैफिक जाम से छुटकारा

Tejinder Singh
Update: 2021-09-20 14:07 GMT
चलेगी केबल कार, मिलेगा ट्रैफिक जाम से छुटकारा
हाईलाइट
  • 8300 करोड़ रुपए की लागत वाली विकास परियोजनाओं पर काम जारी
  • स्विट्जरलैंड में चलने वाली केबल कार चलाने की योजना
  • दुनिया के प्राचीन शहरों में एक है वाराणसी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी दुनिया के प्राचीन शहरों में एक है। सकरी गलियों वाले इस शहर को ट्रैफिक जाम से छुटकारा दिलाने के लिए अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने यहां स्विट्जरलैंड जैसे पहाड़ी इलाकों में चलने वाली केबल कार चलाने की योजना तैयार की है। अगले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के विकास पर करीब 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। फिलहाल यहां 8300 करोड़ रुपए की लागत वाली विकास परियोजनाएं चल रही हैं। अपने आवास पर ‘दैनिक भास्कर’ से विशेष बातचीत में वाराणसी के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने बताया कि बनारस शहर की सबसे बड़ी समस्या यहां लगने वाला ट्रैफिक जाम है। बेहद प्राचीन शहर होने के नाते यहां सड़के सकरी हैं जबकि शहर की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।

दुनियाभर में काशी के धार्मिक महत्व को देखते हुए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते रहते हैं। यहां की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि यहां मेट्रो ट्रेन चलाना संभव नहीं है। इस लिए अब यहां केवल कार चलाने की योजना तैयार की गई है। इस परियोजना पर 400 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले चरण में कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक 5 किलोमीटर के रुट पर केबल कार शुरु की जाएगी। बहुत जल्द शिलान्यास किया जाएगा। शर्मा ने बताया कि पहाडी इलाकों को छोड़ दे तो देश में पहली बार किसी मैदानी इलाके वाले शहर में केबल कार का प्रयोग किया जा रहा है। यह केबल कार स्विट्जरलैंड में चलने वाली केबल कार जैसी होगी। 

यूपी के बेहद काबिल अफसरों में शुमार श्री शर्मा ने कहा कि फिलहाल प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में 8300 करोड़ रुपयों की विभिन्न विकास परियोजनाएं चल रही हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि अगले तीन वर्षों में करीब 5 हजार करोड़ रुपए की और विकास परियोजनाएं पूरी की जाएंगी। जिलाधिकारी ने बताया कि वाराणसी अपने गंगा घाटों के लिए पहचाना जाता है। फिलहाल शहर में 84 घाट हैं। एक और घाट बनाया जा रहा है। इससे काशी के घाटों की संख्या बढ़ कर 85 हो जाएगी। उन्होंने बताया कि राजघाट से आगे खिडकिया में यह अत्य़ाधुनिक घाट तैयार किया जाएगा। यहां पर ओपन थियेटर के साथ जिम व योगा सेंटर जैसी सुविधाएं होंगी। इस पर 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 

सीएनजी से चल रही नाव

शर्मा ने बताया कि गंगा में प्रदूषण कम करने के लिए यहां चलने वाली नावों को सीएनजी से चलाया जा रहा है। 2 हजार नावों में से अब तक 200 के इंजन को सीएनजी में बदला गया है। पर्यटन को बढ़ावा देने क लिए 4 क्रूज चलाए जा रहे हैं। इन्हें गोवा शिपयार्ड में तैयार किया गया है। वाराणसी के मार्कंडे घाट से पड़ोसी जिले चुनार तक ये क्रूज चलाए जा रहे हैं। गंगा में 40 किलोमीटर की यह दूरी 6 घंटे में पूरी होती है। प्रधानमंत्री मोदी के यहां से सांसद चुने जाने के बाद विकास को रफ्तार मिली है।

शहर में बनने वाले रिंगरोड पर 1300 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जबकि बाबतपुर स्थिति वाराणसी एयरपोर्ट पर भी 900 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि काशी की पहचान बाबा विश्वानाथ मंदिर के जीर्णोद्धार पर 800 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं जिसमें से 400 करोड़ रुपए सिर्फ मंदिर के आसपास के घरों को स्थलांतरित करने पर बतौर मुआवाजा खर्च किए गए हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि वाराणसी संसदीय क्षेत्र के 694 गांवों में इंटरनेट पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए अमूल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के प्रोजेक्ट शुरु होने वाले हैं।      

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