नागपुर-नागभीड़ लाइन के 'अच्छे दिन', राज्य सरकार ने मंजूर किए 354 करोड़

नागपुर-नागभीड़ लाइन के 'अच्छे दिन', राज्य सरकार ने मंजूर किए 354 करोड़

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-13 03:25 GMT
नागपुर-नागभीड़ लाइन के 'अच्छे दिन', राज्य सरकार ने मंजूर किए 354 करोड़

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर-नागभीड़ के गेज कनर्वशन के लिए राज्य सरकार ने 354 करोड़ की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय मंगलवार को मुंबई में हुई बैठक में लिया गया। ऐसे में अब नागपुर-नागभीड़ लाइन के अच्छे दिन आने वाले हैं। जिसका सबसे बड़ा फायदा विदर्भ को मिलेगा। यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी और छोटे व्यापारियों के लिए लाइन महत्वपूर्ण साबित होगी। नागपुर, चंद्रपुर और भंडारा जिले के लिए महत्वपूर्ण समझी जाने वाली नागपुर-नागभीड़ लाइन के गेज कनर्वशन कार्य की घोषणा वर्ष 2012-13 के रेल बजट में हुई थी। तब इसके लिए 50 लाख रुपए का प्रावधान किया था। कार्य तेजी से करने के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को 188.11 करोड़ रुपए देने का निर्णय भी लिया। लेकिन कुल 400 करोड़ की लागत का कार्य प्लानिंग कमिशन के अप्रूवल नहीं मिलने ठंडे बस्ते में पड़ा था। सितंबर-2015 में दपूम रेलवे ने यह प्रस्ताव भेजा था, जिसकी निर्धारित राशि 708 करोड़ 11 लाख रुपए तय हुई थी।

क्यों है महत्वपूर्ण?

नागभीड़, छोटी लाइन का एक बड़ा जंक्शन है। यहां से चंद्रपुर, गोंदिया और नागपुर, तीनों ओर छोटी लाइन की ट्रेनें चलती हैं। नागपुर-नागभीड़ मार्ग पर इतवारी, भांडेवाड़ी, उमरेड, भिवापुर, कांपाटेंपा, बामणी जैसे 15 स्टेशन हैं। साथ ही छोटे-बड़े गांवों की बात करें, तो इस लाइन से 50 देहात जुड़ते हैं। जिनमें कांपाटेंमा, नागभीड़ और मोहाड़ी धान फसल का पट्टा है। भिवापुर में मिरची, गेहूं, सोयाबीन की फसल बड़े पैमाने पर ली जाती है। उमरेड कोलमाइन्स होने के साथ गेहूं, कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन फसलों की बिक्री के लिए व अन्य कार्य के लिए आए दिन यात्रियों को उप-राजधानी में आना पड़ता है। एसटी बसों का किराया ज्यादा रहने से यात्रियों को रेलवे से ही जाना सुविधाजनक रहता है।

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