अंबाझरी तालाब को ऑक्सीजन के लिए नीरी, मनपा, वन विभाग मिलकर करेंगे काम

अंबाझरी तालाब को ऑक्सीजन के लिए नीरी, मनपा, वन विभाग मिलकर करेंगे काम

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-26 09:38 GMT
अंबाझरी तालाब को ऑक्सीजन के लिए नीरी, मनपा, वन विभाग मिलकर करेंगे काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अंबाझरी तालाब में ऑक्सीजन की कमी से मर रही मछलियों के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ द्वारा दायर सू-मोटो जनहित याचिका पर  सुनवाई हुई। सुनवाई में मनपा ने अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि मनपा और वन विभाग ने मिलकर तालाब का दौरा किया। तालाब पर जमने वाली विषैली काई की समस्या से निपटने के लिए नीरी को जिम्मेदारी दी गई है। नीरी की रिपोर्ट तीन माह में आएगी। 

दूसरी तरफ, राज्य सरकार के पौधारोपण कार्यक्रम के तहत अंबाझरी परिसर में भी 15 से 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे। तालाब परिसर में चरने वाले जानवरों और असामाजिक तत्वों के दाखिल होने के लिए करीब 21 पाइंट्स हैं, इन्हें बंद करके प्रशासन परिसर में अवैध विचरण रोकने की तैयारी भी है। इसी तरह वन िवभाग तालाब की सफाई की भी तैयारी कर रहा है। इससे निकलने वाली मिट्टी को शहर में हो रहे पौधारोपण में इस्तेमाल करने की तैयारी है। सुनवाई में वाड़ी नगर परिषद का सीवेज तालाब में मिलने का मुद्दा भी उठा। परिषद की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव महाराष्ट्र जीवन विकास प्राधिकरण के पास लंबित है। ऐसे में कोर्ट ने प्राधिकरण से एक सप्ताह में जवाब मांगा है।

यह समस्या हुई थी

पर्यावरणविदों के अनुसार, तालाब में बगैर प्रोसस किए ही उद्योगों के रसायनयुक्त पानी को अंबाझरी तालाब में छोड़ा जा रहा था। वहीं, नजदीकी रिहायशी इलाकों से भी प्रदूषित जल अंबाझरी में मिल रहा था। इसको लेकर प्रशासन ने लापरवाही बरती। समय के साथ-साथ तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो गई। प्रदूषण और ऑक्सीजन की कमी, यह दोहरी मार मछलियां झेल नहीं पाईं और उनकी मौत होने लगी। तालाब के किनारे पर जब मरी मछलियों का ढेर इकट्ठा हुआ तो यह मुद्दा चर्चा में आया।  मामले में नासुप्र की ओर से एड.गिरीश कुंटे, परिषद की ओर से एड.मोहित खजांची और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एड.एस.एस.सान्याल ने पक्ष रखा। 

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