खुद को नाबालिग साबित करने फर्जी मार्कशीट पेश करने वाले को राहत नहीं

खुद को नाबालिग साबित करने फर्जी मार्कशीट पेश करने वाले को राहत नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-08-04 08:08 GMT
खुद को नाबालिग साबित करने फर्जी मार्कशीट पेश करने वाले को राहत नहीं

छतरपुर क एडीजे कोर्टद्वारा दी गई सजा पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार
डिजिटल डेस्क जबलपुर । 
हाईकोर्ट ने उस आरोपी को राहत देने से इंकार कर दिया, जिस पर रेप के मामले में खुद को नाबालिग साबित करने फर्जी मार्कशीट पेश करके धोखाधड़ी करने का आरोप है। जस्टिस जेपी गुप्ता की एकलपीठ ने आरोपी की ओर से दायर अर्जी खारिज करते हुए कहा कि रिकार्ड में उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए फिलहाल उसकी सजा पर रोक लगाना न्यायोचित नहीं है। हालांकि अदालत ने आरोपी को स्वतंत्रता दी है कि सजा की आधी अवधि पूरी होने पर वह फिर से अर्जी दायर कर सकेगा।
अदालत ने यह फैसला छतरपुर जिले के बड़ा मल्हेरा थानांतर्गत ग्राम धौरा निवासी लल्लू कोंडर की ओर से दायर अर्जी पर दिया। खुद को नाबालिग साबित करने के लिए फर्जी मार्कशीट पेश करने के आरोप में छतरपुर जिले के बिजावर में पदस्थ एडीजे कोर्ट ने 24 दिसंबर 2019 को आरोपी लल्लू और राजू उर्फ राजेश मिश्रा को 5-5 साल की सजा सुनाई थी। इस सजा को स्थगित करने पहली अर्जी 19 मार्च 2020 को खारिज होने के बाद यह दूसरी अर्जी दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से पैनल अधिवक्ता प्रदीप गुप्ता की दलील थी कि आरोपी द्वारा पेश की गई मार्कशीट किसी भी शिक्षण संस्थान से जारी नहीं की गई थी और दस्तावेज के फर्जी होने की बात खुद विवेचना अधिकारी ने प्रमाणित की थी, जिसकी आरोपी से कोई दुश्मनी नहीं थी। ऐसे में उसकी सजा पर रोक लगाना न्यायोचित नहीं है।
धोखाधड़ी के आरोपी की चौथी जमानत अर्जी खारिज
धोखाधड़ी के आरोपी की चौथी जमानत अर्जी जस्टिस जेपी गुप्ता की एकलपीठ ने खारिज कर दी है। आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि और अपराध की गंभीरता को मददेनजर अदालत ने उसको जमानत का लाभ देने से इंकार कर दिया। आरोपी अचल सिंह सहित 5 के खिलाफ सीहोर जिले के श्यापुर थाने में संत हिरदाराम नगर निवासी सुशील कुमार की शिकायत पर वर्ष 2018 में प्रकरण दर्ज हुआ था। 12 जुलाई 2018 को गिरफ्तार आरोपी अचल सिंह पर आरोप है कि 15 जुलाई 2015 को उसने 9 एकड़ जमीन को बेचने का सौदा 39 लाख रुपए में तय किया और एडवांस के रूप में 26 लाख रुपए ले लिए। इसके बाद 3 साल तक जमीन की रजिस्ट्री न कराए जाने पर पुलिस में आरोपी व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

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