टीके के बाद ब्लड डोनेशन पर एक महीने का ब्रेक, वहीं स्टॉक में सिर्फ 300 यूनिट

टीके के बाद ब्लड डोनेशन पर एक महीने का ब्रेक, वहीं स्टॉक में सिर्फ 300 यूनिट

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-18 09:33 GMT
टीके के बाद ब्लड डोनेशन पर एक महीने का ब्रेक, वहीं स्टॉक में सिर्फ 300 यूनिट

अब युवाओं पर जिम्मेदारी क्योंकि वैक्सीन के बाद रक्तदान संभव नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना काल में संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए लगाई गईं पाबंदियों का पहलू यह भी रहा है कि रक्तदान शिविरों में भारी कमी आई, वहीं ब्लड बैंकों में स्वैच्छिक रक्तदान  भी घट गया, जिसके चलते शहर के तीन प्रमुख शासकीय ब्लड बैंक भी रक्ताल्पता का शिकार हो गए।
वहीं दूसरी ओर कोरोना वैक्सीनेशन के चलते भी स्वैच्छिक रक्तदान घट गया है, ऐसा इसलिए कि वैक्सीन लगवाने के बाद 1 महीने तक ब्लड डोनेट नहीं किया जा सकता। ब्लड कलेक्शन कम होने के चलते जरूरतमंद मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इमरजेंसी में तो यह मुश्किल और भी बढ़ जाती है। थैलेसीमिया से पीडि़त मरीजों को एक समय अंतराल के बाद निरंतर रक्त की आवश्यकता होती है,   ऐसे में परिजन ऐसे डोनर तलाशते नजर आते हैं, जिन्हें कोरोना का टीका लगे 1 माह हो गया।  
इन मरीजों को जरूरत  
* थैलेसीमिया, सिकल सेल के मरीजों को निरंतर रक्त की जरूरत। 
* प्रसव, डायलिसिस, गंभीर सर्जरी, कैंसर आदि के मरीजों को। 
* एनीमिया से पीडि़त मरीज को।
थैलेसीमिया के कई मरीज जिले के कई हिस्सों से रोजाना थैलेसीमिया के मरीज शहर आते हैं। परिजन डोनर की तलाश में रक्तदाताओं के संपर्क करते हैं। विक्टोरिया में ही रोजाना 8 से 10 थैलेसीमिया के मरीज आ रहे हैं।  
कम हुआ ब्लड डोनेशन
क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएँ और एल्गिन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि कोरोना के चलते ब्लड डोनेशन बहुत कम हुआ है। थैलेसीमिया एवं प्रसव के लिए आईं महिलाओं को जरूरत पडऩे पर बिना एक्सचेंज के भी ब्लड उपलब्ध कराया जाता है।
40 से 50 ट्रांजेक्शन रोज 
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. शिशिर चनपुरिया ने बताया कि सामान्य परिस्थितियों के मुकाबले अभी कलेक्शन कम है। अभी 40 से 50 ट्रांजेक्शन रोज हो रहे हैं। बाहरी मरीजों के अलावा मेडिकल कॉलेज में ही होने वाले प्रसव, मेजर सर्जरी, कैंसर आदि के मरीजों को दिया जाता है। 

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