आयुध निर्माणियों में एक माह की हड़ताल प्रारंभ, देश भर में हैं 90 हजार कर्मचारी
आयुध निर्माणियों में एक माह की हड़ताल प्रारंभ, देश भर में हैं 90 हजार कर्मचारी
डजिटल डेस्क, जबलपुर। आयुध निर्माणी के निजीकरण के विरोध में श्रमिक संगठनों ने आज से एक माह की हड़ताल प्रारंभ कर दी । सिड्रा के गठजोड़ सेे सभी निर्माणों में एक माह की हड़ताल कर दी गई है यह पहला अवसर है जबकि इतनी लंबी हड़ताल का आव्हान किया गया । और उसका प्रथम दिवस पूर्ण सफल रहा । जी सी एफ जबलपुर मे 100 प्रश. हड़ताल सफल रही सभी कर्मचारियों व जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया । कर्मचारियों का तर्क है कि निगम के फार्मूले से हर कदम पर नुकसान ही हुआ है उनका कहना है कि है कि रक्षा उत्पादन यानि ऑड्रन्स फैक्ट्रीज समूह में 41 उत्पादन इकाइयाँ हैं, जिनमें लगभग 90 हजार कर्मचारी काम करते हैं। चूंकि इनमें से एक भी फैक्टरी दिल्ली में नहीं है और न ही दिल्ली में इनका मुख्यालय है इसीलिए इतनी बड़ी हड़ताल पर मेन स्ट्रीम मीडिया का ध्यान ही नहीं जा रहा। हड़ताल में जाने के पीछे ये कारण है कि सरकार रक्षा हथियार सामग्री बनाने वाली इन उत्पादन इकाइयों को निगमिकृत करना चाहती है। पिछले दो सौ से भी ज्यादा साल पुराने इस संगठन पर अभी केंद्र सरकार का कंट्रोल है, लेकिन निगमिकरण हो जाने के बाद ये इकाइयां निजी हाथों में सौंपे जाने के लिए तैयार हो जाएँगी।
असल में निगमीकरण, निजीकरण का ही पहला स्टेप है
सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि ये फैक्ट्रीज सेना के लिए टैंक, राइफल्ज, छोटी से कारतूस से लेकर 1000 पाउंड के बम तक बनती हैं, इसके अलावा जितने कन्वेंशनल हथियार हैं वो सब बनाए जाते हैं यहाँ। वैसे एक बात जो यहाँ हमेशा ध्यान रखने वाली बात है वो ये कि भारत ने अभी तक जितने भी युद्द जीते हैं उनमें हथियार इन्हीं ऑड्र्नन्स फ़ैक्ट्रीज़ द्वारा सप्लाई किए गए थे।सरकार अगर इन्हें निगम बनाकर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी करेगी तो वक़्त आने पर इनके नए मालिक सत्कार से हथियारों की वही क़ीमत वसूलेंगे जैसे त्योहार के सीज में हवाई कम्पनियों के मालिक 4 हज़ार के टिकिट की कीमत 40 हजार तक वसूलते हैं। दूसरा खतरा रहेगा सीक्रेसी का...आज ये डिपार्टमेंट सरकार के अधीन हैं, यहाँ की तकनीक और हथियार सब गोपनीय होते हैं, लेकिन कल को इनके नए मालिक सरकार और देश के प्रति कितने वफादार होते हैं ये देखने वाली बात होगी।