बारिश न होने से सूखने लगी थी फसल, चेतावनी देते हुए छोड़ा पेंच का पानी
बारिश न होने से सूखने लगी थी फसल, चेतावनी देते हुए छोड़ा पेंच का पानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसानों को आगाह करते हुए अंतत: पेंच प्रकल्प का 100 दलघमी पानी छोड़ा गया है। लापरवाही न बरतते हुए इस पानी का उपयोग करने की सलाह दी गई है। भविष्य में पर्याप्त बारिश नहीं होने पर सिंचाई के लिए पानी न मिलने की चेतावनी भी दी गई है।
ज्ञात रहे कि, बारिश के अभाव के कारण धान रोप सूख रहे हैं। नमी सूखने से जमीन में दरारें पड़ रहीं हैं। अभी क्षेत्र में 60 प्रतिशत धान की रोपाई हुई है। लगभग 40 प्रतिशत रोपाई शेष है। बारिश नदारद है। इससे उत्पन्न स्थिति से निपटने जिले के पालकमंत्री की जिलाधिकारी, जनप्रतिनिधि और सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक हुई। बैठक में प्रशासन ने पेंच का पानी छोड़ने पर असमर्थता व्यक्त की थी।
33 प्रतिशत जलसंचय न होने से पानी छोड़ना संभव नहीं होने का कारण बताया था। इस पर एड. आशीष जयस्वाल ने बताया था कि, जलसंपत्ति प्राधिकरण के आदेशानुसार किसानों के कोटे का पानी छोड़ा जाना चाहिए। पानी की आवक सिर्फ 25 टीएमसी होने से प्राधिकरण के निकसानुसार 50 प्रतिशत पानी उपलब्ध है।
पानी वितरण के सूत्रानुसार किसानों के अनुज्ञेय अधिकार का पानी वितरण संस्था की मांग के बाद रोका नहीं जा सकता। पालकमंत्री ने किसानों के पौधे बचाने के लिए सकारात्मक कदम उठाकर पानी देने का निर्णय लिया है। पानी वितरण संस्था की बैठक में मंजूर प्रस्ताव के साथ मांगपत्र के चलते शर्त के साथ पानी छोड़ा जा रहा है। उन्होंने किसानों के कोटे का पानी देने संबंधी निर्देश दिए। नियोजन के बाद 9 अगस्त को नहर में पानी छोड़ा गया।
संकट की आशंका
आगामी अक्टूबर माह में पानी के कम जलसंचय के चलते पुनः बड़ा संकट आने की संभावना भी व्यक्त की गई। बताया कि, अगस्त और सितंबर महीने में जलाशय में संचय होने वाले पानी में से किसानों के कोटे का पानी उन्हें तत्कालीन स्थितिनुसार दिया जाएगा। उक्त बैठक में अनेकों किसानों सहित सांसद कृपाल तुमाने, विधायक डी.एम. रेड्डी, सिंचाई विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
आधिकारिक तौर पर बताया गया कि, शासन निर्णय 7 मार्च 2001 और 7 सितंबर 2015 के तहत 33 प्र.श. से पानी उपलब्धता कम होने पर मौसमी, द्वितीय मौसमी फसलों के लिए मंजूरी न देना अपेक्षित है। वर्तमान में जलसंचय 352 दशघमी यानी 28 प्रतिशत यह 33 प्रतिशत से कम है। जिसके चलते जिलाधिकारी, नागपुर द्वारा इस संबंध में निर्णय लेना अभिप्रेत था।
किसानों के लिए जीवन-मरण का सवाल था
पेंच प्रकल्प के लाभक्षेत्र में 1.04 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर 70 हजार किसान परिजनों का जीवनयापन निर्भर है। इसका विचार करना भी आवश्यक था। जिससे अभी पानी मिलना जीवन-मृत्यु का प्रश्न बन गया था। आज न देकर भविष्य में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध किए जाने पर उसका कुछ भी उपयोग नहीं था। आज फसल हाथ से निकल जाएगी। खरीफ सिंचाई के लिए एक पाली में 150 से 170 दशघमी पानी लगता है। जिससे पीने के पानी के लिए वर्षभर में लगने वाला जलसंचय अभी आरक्षित न रखते हुए खरीफ सिंचाई के लिए एक पाली की व्यवस्था हो सकेगी। शेष बारिश के पानी से यह कमी समायोजित की जा सकती है।
भविष्य में संभावित बारिश के न आने पर उत्पन्न परिस्थिति के नियोजन पर भी सिंचाई विभाग विचार कर रहा है, लेकिन किसानों की स्पष्ट मांग थी कि, आज रोप सूख रहे हैं। भविष्य का बाद में सोचा जा सकता है। आज सूखते रोपों को बचाना आवश्यक है। जिसके चलते पानी वितरण संस्था ने पेंच का पानी शीघ्र छोड़ने की मांग की थी। जिसके चलते नहर से पानी छोड़ा गया।