याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पेश करें दमोह उपचुनाव के दौरान कोरोना से मृत कर्मियों का ब्यौरा

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पेश करें दमोह उपचुनाव के दौरान कोरोना से मृत कर्मियों का ब्यौरा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-10 12:21 GMT
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पेश करें दमोह उपचुनाव के दौरान कोरोना से मृत कर्मियों का ब्यौरा

जनहित याचिका की अगली सुनवाई 26 को
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मप्र हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को निर्देश दिया है कि दो सप्ताह में दमोह उपचुनाव के दौरान कोरोना से मृत कर्मचारियों का पूरा ब्यौरा पेश किया जाए। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने कहा है कि जनहित याचिका दायर करते समय उचित शोध और सर्वेक्षण करना चाहिए और विशिष्ट विवरण प्रस्तुत करना चाहिए। याचिका की अगली सुनवाई 26 जुलाई को नियत की गई है। 
ये  है मामला

यह जनहित याचिका दमोह निवासी डॉ. जया ठाकुर की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया कि अप्रैल 2021 में हुए दमोह विधानसभा के उपचुनाव के प्रशिक्षण से लेकर मतगणना के दौरान तक बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी कोरोना संक्रमण के शिकार हुए। कोरोना संक्रमण से 66 शिक्षकों और 34 अन्य कर्मचारियों की मौत हो गई। इस दौरान लगभग 100 सरकारी कर्मचारियों की कोरोना से मौत हुई है। राज्य सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को केवल अंतिम संस्कार के लिए 50 हजार रुपए की राशि दी है। अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग ने 20 जुलाई 2020 को अधिसूचना जारी की थी कि चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण से सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर 30 लाख रुपए दिए जाएँगे। इसके साथ ही दिल्ली सरकार कोरोना से मृत कर्मचारियों के परिजनों को 1 करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति दे रही है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना से मृत कर्मचारियों को 50 लाख रुपए देने की घोषणा की गई है। याचिका में मृत सरकारी कर्मचारियों को एक करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति और उनके आश्रितों को अनुकम्पा दिए जाने की माँग की गई है। 
याचिका में पेश मौत के आँकड़े विश्वसनीय नहीं

राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने आपत्ति दर्ज कराई कि याचिकाकर्ता द्वारा बिना किसी आधार के दमोह उपचुनाव के दौरान  100 सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु होने का दावा किया जा रहा है, जो विश्वसनीय नहीं है। जनहित याचिका बिना शोध किए दायर की गई है। सुनवाई के बाद  डिवीजन बैंच ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को दो सप्ताह के भीतर मृत कर्मचारियों का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है। 
 

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