प्लाज्मा डोनेशन आज से, गंभीर मरीजों को बचाने की आस

प्लाज्मा डोनेशन आज से, गंभीर मरीजों को बचाने की आस

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-29 10:14 GMT
प्लाज्मा डोनेशन आज से, गंभीर मरीजों को बचाने की आस

मेडिकल में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों से प्लाज्मा देने प्रशासन ने की अपील
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
अब कोरोना संक्रमण से जूझ रहे उन मरीजों के जल्द स्वस्थ होने की आस जगी है जो गंभीर स्थिति में हैं। मेडिकल में बुधवार से प्लाज्मा डोनेशन का काम शुरू हो गया है जिसमें कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों के रक्त से  प्लाज्मा निकालकर उसे गंभीर मरीजों को लगाया जाएगा। कलेक्टर ने स्वस्थ हुए लोगों से मेडिकल पहुँचकर प्लाज्मा देने की अपील की है। 
क्या है प्लाज्मा थैरेपी
 प्लाज्मा थैरेपी अथवा प्लास्माफेरेसिस ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा (जिसमें एंटीबॉडीज शामिल होती हैं) को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है। इसके लिए डोनर (कोरोना से ठीक हो चुके मरीज) का खून मशीन द्वारा पारित किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोरोना इंफेक्शन से ठीक हुए लोगों के खून (प्लाज्मा) से बीमार लोगों का इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए पीडि़त व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है जिससे वह भी कोरोना के संक्रमण को मात देकर स्वस्थ हो सकते हैं। प्लाज्मा थैरेपी का सफलतापूर्वक उपयोग पहले भी अन्य बीमारियों में किया जा चुका है। प्लाज्मा थैरेपी अन्य शहरों में कोरोना के गम्भीर मरीजों के उपचार में मददगार साबित हो रही है। शहर में कोरोना के बढ़ते हुए गंभीर मामलों एवं मृत्युदर को देखते हुए यह बहुत आवश्यक है की प्लाज्मा थैरेपी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो। डीन डॉ. पीके कसार ने बताया कि प्लाज्मा डोनेट की प्रक्रिया में 30-45 मिनट का समय लगता है। एक व्यक्ति 2 हफ्ते में एक बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।  
 

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