प्राइवेट कालेजों ने 80 लाख तक में बेच दीं एमबीबीएस की सीटें, HC ने मांगा जवाब

प्राइवेट कालेजों ने 80 लाख तक में बेच दीं एमबीबीएस की सीटें, HC ने मांगा जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-22 08:11 GMT
प्राइवेट कालेजों ने 80 लाख तक में बेच दीं एमबीबीएस की सीटें, HC ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस मामले पर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए, जिसमें प्रदेश के प्राईवेट कॉलेजों द्वारा एमबीबीएस कोर्स की 94 सीटें 25 से 80 लाख रूपये में बेचे जाने का आरोप लगाया गया है। एक मामले में आरोप है कि 7 बजे मैरिटी की अंतिम सूची जारी करने के बाद छात्रों को 10 बजे अपने पसंद के कॉलेज में पहुंचने कहा गया, लेकिन सड़कें खराब होने और एयर कनेक्टिविटी न होने के कारण याचिकाकर्ता 3 घंटे में भोपाल नहीं पहुंच पाए। इसका फायदा प्राईवेट कॉलेजों ने उठाया और पात्रों को मिलने वाली सीटें अपात्रों को बेच दी गईं। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने मामले में लगे आरोपों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार सहित 7 को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
यह याचिका जबलपुर के सिहोरा में रहने वाले पृथ्वी नायक व 10 अन्य छात्रों की ओर से दायर की गई है। आवेदकों के अनुसार नीट 2017 में उन्हें अच्छे अंक मिले थे और प्राईवेट मेडीकल कॉलेज में दाखिला मिलने की पूरी उम्मीद थी, क्योंकि वे मप्र के ही मूल निवासी थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकार को फिर से काउंसिलिंग कराने के निर्देश दिए और इसके लिए अतिरिक्त मोहलत भी दी गई थी। याचिका में आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार पहले दो चरणों में काउंसिलिंग भी हुई, लेकिन बची हुई सीटों के लिए 9 व 10 सितम्बर काउंसिलिंग कराई गई। आरोप है 10 सितम्बर की रात्रि 12 बजे तक चयनीत छात्र कॉलेज में पहुॅचकर दाखिला ले सकते थे, लेकिन इसकी अंतिम सूची आवेदकों का कहना हे कि चयनित छात्रों की सूची 10 सितम्बर की शाम 7 बजे जारी हुई और चयनित छात्रों को सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित कॉलेज 12 बजे तक पहुंचने कहा गया। आरोप है कि चयनित छात्रों के न पहुॅचने पर प्राईवेट मेडीकल कॉलेजों ने रात्रि 12 बजे से पहले सीटें 25 से 80 लाख रुपए में अयोग्य छात्रों को बेच दीं। इस बारे में संबंधितों को शिकायतें देने के बाद भी कोर्ई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई। याचिका में मप्र सरकार, डीएमई, इंडैक्स मेडिकल कॉलेज इन्दौर, एलएन मेडिकल कॉलेज भोपाल, अमल्तास मेडिकल कॉलेज देवास, चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल और आरकेडीएफ मेडिकल कालेज भोपाल को पक्षकार बनाया गया है।

 

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