मंदिर मामले पर न्यायालय के निर्णय का इंतजार, नवंबर में आएएसएस की संगठनात्मक गतिविधियां नहीं

मंदिर मामले पर न्यायालय के निर्णय का इंतजार, नवंबर में आएएसएस की संगठनात्मक गतिविधियां नहीं

Tejinder Singh
Update: 2019-10-31 13:54 GMT
मंदिर मामले पर न्यायालय के निर्णय का इंतजार, नवंबर में आएएसएस की संगठनात्मक गतिविधियां नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अयोध्या में मंदिर मामले को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सचेत है। संघ को लगता है कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय उनकी उम्मीद के अनुरुप ही आएगा। केंद्र व उत्तरप्रदेश सरकार को इस निर्णय के बाद कुछ न्यायिक कदम उठाना पड़ सकता है। इस बीच सामाजिक भावना भड़काने का प्रयास भी हो सकता है। संभावित स्थिति का अनुमान लगाते हुए संघ नहीं चाहता है कि उसपर किसी तरह का आरोप लगे। इसलिए संघ की ओर से नवंबर में आयोजित बड़े कार्यक्रमाें को रद्द कर दिया गया है। यहां तक कि प्रचारकों से भी कहा किया गया है कि वे संगठनात्मक गतिविधियों पर विराम लगाए रखें।

संघ से जुड़े एक पदाधिकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश में संघ कार्यकर्ताओं को सबसे अधिक सचेत रहने को कहा गया है। नवंबर में अयोध्या मंदिर मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आनेवाला है। संभावित स्थिति को देखते हुए संघ ने लखनऊ में 17 नवंबर से प्रस्तावित एकल कुंभ, अयोध्या में 4 नवंबर से आयोजित दुर्गावाहिनकी के शिविर व उत्तरप्रदेश में विश्व हिंदू परिषद के त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। हरिद्वार में होनेवाली संघ की बैठक को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया है। गुरुवार से बैठक आरंभ भी हो गई है। संघ पदाधिकारी के अनुसार 36 संगठनों की गतिविधियां रोककर केवल यही प्रयास किया जा रहा है कि समाज में शांति बनी रहे।

किसी भी तरह की अफवाह या निराधार खबरों को बढ़ावा न मिले। संघ को विश्वास है कि इस बार यह विवाद दूर हो जाएगा। उम्मीद के अनुरुप उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने की संभावना है। इसलिए संघ की ओर से आव्हान किया जाने लगा है कि न्यायालय के निर्णय का सम्मान करना होगा। यह भी हो सकता है कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद केंद्र व उत्तरप्रदेश सरकार को नए कानून बनाने पड़ सकते हैं। उस स्थिति में सामाजिक सहयोग का अधिक महत्व रहेगा। संघ मामलों के जानकार दिलीप देवधर के अनुसार संघ ने सजगता बरतते हुए अपने कार्यक्रमों को रद्द किया है।

स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि समाज में भाईचारा बनाए रखने के सामूहिक प्रयास को और अधिक मजबूती दे। यह भी तय माना जा सकता है कि संघ को उच्चतम न्यायलय के निर्णय की स्थिति के बारे में कुछ संकेत मिले हैं।

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