रिटायर्ड बैंक अफसर को नहीं मिली ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत

रिटायर्ड बैंक अफसर को नहीं मिली ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-26 07:41 GMT
रिटायर्ड बैंक अफसर को नहीं मिली ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत

डिजिटल डेस्क जबलपुर । धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे एक रिटायर्ड बैंक अफसर को हाईकोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया जाने की इजाजत देने से इंकार कर दिया है। आरोपी अधिकारी का दावा था कि उसकी नि:संतान बहू गर्भवती होने का इलाज कराना चाह रही, जो 9 माह तक चलेगा। ऐसे में सास-ससुर होने के नाते उसका (आरोपी का) और उसकी पत्नी का बहू के साथ होना जरूरी है। जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने आरोपी अफसर की दलीलों को नकारते हुए कहा कि ऐसे मौकों पर बहू अपने सास-ससुर के बजाए अपने माता-पिता को प्राथमिकता देगी। चूंकि आवेदक पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं, इसलिए उसे विदेश जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस मत के साथ युगलपीठ ने आरोपी की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी। भोपाल में रहने वाले रिटायर्ड बैंक अधिकारी एनके सिंघई की ओर से यह अर्जी हाईकोर्ट में दायर की गई थी। उसके खिलाफ सीबीआई ने धोखाधड़ी, आपराधिक षडय़ंत्र रचने और भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं। सीबीआई का आरोप है कि यूको बैंक में पदस्थ रहे एनके सिंघई ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 5 करोड़ रुपए के लोन में भ्रष्टाचार किया है। इस मामले में आरोपी को हाईकोर्ट ने 8 मार्च 2013 को कई शर्तों के साथ जमानत दी थी। अब बहू के इलाज को आधार बनाकर आस्ट्रेलिया जाने की अनुमति पाने आरोपी ने पहले सीबीआई की भोपाल में स्थित विशेष अदालत में एक अर्जी दायर की, जिसके 21 अक्टूबर 2019 को खारिज होने पर यह मामला हाईकोर्ट में दायर किया गया। सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से कहा गया कि भोपाल में उसकी 2.69 करोड़ रुपए की संपत्ति को प्रतिभूति के रूप में जमा करके अस्थाई रूप से विदेश जाने की इजाजत दी जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इलाज के दौरान बहू को उसकी और उसकी पत्नी की जरूरत होगी। पूरे दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने अपने फैसले में कहा- च्आरोपी ने अपने आवेदन में इस बात का जिक्र कहीं पर भी नहीं किया कि उसकी बहू के माता-पिता जीवित नहीं हैं और ऐसी कोई वजह भी नहीं बताई कि आखिर क्यों वो अपनी बेटी के साथ विदेश नहीं जा सकते।ज् युगलपीठ ने आवेदक पर लगे आरोपों के मद्देनजर उसकी ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से एएसजी जेके जैन ने पक्ष रखा।

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