सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला की जिंदगी में छाया अंधेरा - सौ वर्ष से भी ज्यादा है उम्र

सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला की जिंदगी में छाया अंधेरा - सौ वर्ष से भी ज्यादा है उम्र

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-19 09:50 GMT
सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला की जिंदगी में छाया अंधेरा - सौ वर्ष से भी ज्यादा है उम्र

डिजिटल डेस्क पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर बन चुकी दुनिया की सबसे उम्र दराज हथिनी वत्सला को अब आंखों से दिखना बंद हो गया है। वत्सला की आंखों में मोतियाबिंद हो जाने के चलते यह स्थिति निर्मित हुई है, जिससे उसकी जिंदगी में अब अंधेरा छा गया है। अपनी जिंदगी के बेहद कठिन दौर से गुजर रही इस हथिनी को अब सिर्फ  हाथियों के कुनबे का सहारा है क्योंकि उसकी आंखों का इलाज संभव नहीं है। पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों का पूरा कुनबा परिवार के इस सबसे बुजुर्ग सदस्य की पूरी देखरेख करता है। हाथियों के सहारे ही वत्सला अब जंगल भ्रमण में जा पाती है। पिछले दो दशक से भी अधिक समय से वत्सला की सेहत पर नजर रखने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि वत्सला की उम्र 100 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है, जिसका असर उसके शरीर व अंगों पर पडऩे लगा है।
 डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि वत्सला की आंखों में मोतियाबिंद कैट्रेक्ट हो चुका है, जिसके कारण उसे अब कुछ भी दिखाई नहीं देता। उन्होंने बताया कि हाथियों की आंखों का लेंस अभी तक नहीं बन पाया है इसलिए वत्सला की आंखों का इलाज संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों के कुनबे की मदद लेकर ही उसे अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी। 
डॉ. गुप्ता के मुताबिक पार्क प्रबंधन द्वारा भी हथिनी वत्सला की पूरी देखरेख की जा रही है। उसे सुगमता से पचने वाला आहार दिया जाता है। साथ ही नियमित रूप से उसके स्वास्थ्य का परीक्षण भी होता है।
 दो बार दे चुकी है मौत को चकमा
दुनिया की इस सबसे उम्रदराज हथिनी की जिंदगी जितनी लंबी है, उतनी ही रहस्यपूर्ण और रोमांच व दिल दहला देने वाली घटनाओं से भरी हुई है। यह हथिनी अपनी जिंदगी में दो बार मौत को भी चकमा देने में कामयाब हो चुकी है। डॉ. संजीव गुप्ता बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के ही एक नर हाथी रामबहादुर ने वर्ष 2003 और 2008 में प्राणघातक हमला कर वत्सला को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। मदमस्त नर हाथी ने दांतों से प्रहार कर वत्सला का पेट चीर दिया था, लेकिन बेहतर उपचार और सेवा से इस बुजुर्ग हथिनी को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया गया। मौजूदा समय यह हथिनी देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए जहां आकर्षण का केंद्र है, वहीं पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए भी किसी धरोहर से कम नहीं है।
 

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