जिले में सिकलसेल के मरीजों की बढ़ीं मुश्किलें

अमरावती जिले में सिकलसेल के मरीजों की बढ़ीं मुश्किलें

Tejinder Singh
Update: 2021-11-11 11:53 GMT
जिले में सिकलसेल के मरीजों की बढ़ीं मुश्किलें

डिजिटल डेस्क, अमरावती। सिकलसेल बीमारी के मरीज दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है। इन मरीजों की संख्या लाखों में होने के बावजूद महाराष्ट्र शासन ने उनकी सुरक्षा के लिए कोई भी यंत्रणा तैयार नहीं की है। सिकलसेल बीमारी व मरीजों के संदर्भ में सरकार को संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। सिकलसेल मरीज आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ होने के कारण निजी अस्पताल का खर्च वह नहीं उठा सकते। इसलिए अपनी कुछ मांगों को लेकर सिकलसेल संघ अमरावती की ओर से शुक्रवार को जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा गया है। सिकलसेल संघ की ओर से कहा गया है कि सिकलसेल मरीजों के लिए हर जिला सामान्य अस्पताल में 60 बेड का विशेष वार्ड तैयार करना आवश्यक है। ताकि उन्हें योग्य इलाज मिल सके। यही नही महाराष्ट्र शासन ने एड्स की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए एड्स नियंत्रण सोसायटी तैयार की है। इसी तरह सिकलसेल को नियंत्रित करने के लिए सिकलसेल नियंत्रण सोसायटी निर्माण की जाए। जिसके माध्यम से सिकलसेल के मरीजों को सेवा भी दी जा सकती है व बीमारी पर नियंत्रण भी किया जा सकता है। सिकलसेल मरीजों को दिव्यांग प्रमाणपत्र देने हेतु महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग व शासन ने जो शर्ते मानसिक रूप से तकलीफ देने के लिए रखी है, वह रद्द करते हुए एचपीएलसी होने के बाद उन्हें दिव्यांग प्रमाणपत्र दिया जाए। क्योंकि सिकलसेल यह बीमारी जन्मजात होने के साथ ही अनुवांशिक है। कई बार ग्रामीण इलाके के मरीजों को इलाज के लिए जिलास्तर पर जाना पड़ता है। किंतु आर्थिक स्थिति कमजोर होने से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सिकलसेल मरीजों को सहयोग करनेवाले मददगारों को निशुल्क बस सेवा दी जाए। इसी के साथ ही अन्य कुछ मांगे शासन से सिकलसेल संघ द्वारा की गई है। 
 

 

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