जस्टिस राजेन्द्र मेनन को SC जज नहीं बनाए जाने का विरोध, हड़ताल पर जाने की चेतावनी

जस्टिस राजेन्द्र मेनन को SC जज नहीं बनाए जाने का विरोध, हड़ताल पर जाने की चेतावनी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-19 09:29 GMT
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन को सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। स्टेट बार काउंसिल और सीनियर एडवोकेट काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा लिए गए निर्णय पर प्रश्न चिन्ह खड़े करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि इस मामले में हड़ताल पर जाने का भी विचार किया जा रहा है।

पत्र लिखकर आमसभा बुलाए जाने का प्रस्ताव
स्टेट बार काउंसिल सभाकक्ष में आयोजित पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे ने कहा कि 12 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने जबलपुर निवासी और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग का नाम सुप्रीम कोर्ट जज के लिए प्रस्तावित किया था। 10 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बिना किसी आधार के जस्टिस मेनन और जस्टिस नंदराजोग का नाम अलग कर दिया। उनकी जगह दूसरे दो जजों का नाम प्रस्तावित कर दिया।

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री खरे ने सीनियर एडवोकेट काउंसिल को पत्र लिखकर आमसभा बुलाए जाने का प्रस्ताव रखा। आमसभा में इस निर्णय पर आपत्ति दर्ज करने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर विरोध किया है।

हड़ताल पर जा सकते है वकील
बताया जाता है कि स्टेट बार काउंसिल के सदस्य राधेलाल गुप्ता और आरके सिंह सैनी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बिना किसी कारण के वरिष्ठ जजों के नामों को दरकिनार करते हुए जूनियर जजों को सुप्रीम कोर्ट में भेजने का निर्णय लिया है। इस निर्णय को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके विरोध में अधिवक्ता हड़ताल पर भी जाने पर विचार कर रहे हैं।

हाईकोर्ट बार की सामान्य सभा 21 जनवरी को
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदर्शमुनि त्रिवेदी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के निर्णय का पूरे प्रदेश में विरोध किया जाएगा। इस मामले में 21 जनवरी को दोपहर 1.30 बजे सिल्वर जुबली हॉल में सामान्य सभा की बैठक का आयोजन किया गया है। यदि सामान्य सभा में निर्णय होता है तो अधिवक्ता न्यायिक कार्य से भी विरत रहेंगे।

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