विद्यार्थी पढ़ने और गणित में बेहतर, लेकिन उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए नहीं हैं तैयार

विद्यार्थी पढ़ने और गणित में बेहतर, लेकिन उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए नहीं हैं तैयार

Tejinder Singh
Update: 2019-01-17 11:41 GMT
विद्यार्थी पढ़ने और गणित में बेहतर, लेकिन उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए नहीं हैं तैयार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के प्रदर्शन में सुधार दर्ज हुआ है और अब यह राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। हालांकि उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के प्रदर्शन में कोई खास सुधार नहीं आया है। स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (रूरल)-2018  की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में जिला परिषद के स्कूल के बच्चों की समझ निजी स्कूल के बच्चों से बेहतर है। स्वयंसेवी संस्था प्रथम की ओर से किए गए इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है।

सर्वे में महाराष्ट्र का प्रदर्शन कई मानकों पर राष्ट्रीय औसत से बेहतर मिला है। अक्षरों का पहचानने और उन्हें पढ़ने में सक्षम बच्चों के मामले में राष्ट्रीय औसत जहां 46.8 प्रतिशत है, वहीं राज्य इस मामले में 66.2 प्रतिशत पर है। 15 से 16 वर्ष के आयु वर्ग में स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों की संख्या राष्ट्रीय औसत में 13.5 है जबिक राज्य में यह मात्र 5.1 फीसदी है। 

उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए तैयार नहीं हैं बच्चे
रिपोर्ट के अनुसार, आठवीं कक्षा के 19.8 फीसदी छात्र कक्षा दो का टेक्स्ट (पाठ्य वाक्य) नहीं पढ़ पाते हैं। यानी सर्वे में शामिल बच्चों में से हर पांचवां बच्चा उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए तैयार नहीं है। गणित की दक्षता भी असंतोषजनक है। सर्वे का उदेश्य शिक्षा की बुनियादी कौशल का आकलन था। रिपोर्ट के अनुसार जिला परिषद स्कूलों के 44.2 फीसदी बच्चे कक्षा दो का टेक्स्ट पढ़ने में सक्षम थे, जबकि निजी स्कूलों में यह आकड़ा 33.6 फीसदी है। कक्षा पांच के स्तर पर जिला परिषद स्कूल के 66 फीसदी बच्चे कक्षा दो के पाठ्य पुस्तक की कहानी पढ़ सकते हैं, यह वर्ष 2014 में 51.7 फीसदी दर्ज किया गया था।   

33 जिलों के 990 गांवों में सर्वे : सर्वे राज्य के 33 जिलों के 990 गांवों में कुल 19765 घरों में किया गया और इसके 14 स्वयंसेवी संस्थाओं और 21 कॉलेज व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने आकड़े जुटाने में सहयोग किया।  

निजी स्कूलों में नाम लिखवाने वालों की संख्या नागपुर में ज्यादा
विदर्भ के ग्रामीण इलाकों में निजी स्कूलों में दाखिला लेने के मामले में नागपुर 53.2 प्रतिशत के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद वर्धा का स्थान है, जहां 50.0 प्रतिशत बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में हुआ है। सबसे कम यवतमाल में केवल 27 फीसदी बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में हुआ है।

चंद्रपुर के 58.9 फीसदी बच्चे पढ़ पाते हैं (तीसरी से पांचवीं )
कक्षा तीन से पांच के बच्चों में दूसरी कक्षा के स्तर के पाठ पढ़ने में सक्षम बच्चों के मामले में चंद्रपुर सबसे अागे है। यहां 58.9 फीसदी पाठ पढ़ने में सक्षम पाए गए। वहीं कम से कम घटाने की समझ रखने वाले बच्चों के मामले में वर्धा का प्रदर्शन सबसे बेहतर है। यहां के 52.7 फीसदी बच्चे घटाना जानते हैं। नागपुर में यह 48.2 फीसदी है। 

वर्धा के 80 फीसदी बच्चों को आता है पढ़ना (छठी से आठवीं)
कक्षा छह से आठ के बच्चों में दूसरी कक्षा के स्तर के पाठ पढ़ने में सक्षम बच्चों के मामले में वर्धा का प्रदर्शन 80 फीसदी के साथ सबसे अच्छा है। वहीं भाग करने में सक्षम बच्चों के मामले में गोंदिया 49.6 और वर्धा 49.2 के साथ आगे हैं। नागपुर में 39.1 फीसदी बच्चे भाग की क्रिया कर पाते हैं।

अमरावती और वाशिम में सौ फीसदी बच्चों का नामांकन
बच्चों के स्कूल में दाखिले के मामले में अमरावती और वाशिम सौ फीसदी सफलता हासिल कर चुके हैं। वहां स्कूल में दाखिला नहीं लेने वाले बच्चों का प्रतिशत शून्य दर्ज किया गया है। नागपुर में 0.5 फीसदी बच्चों का दाखिला नहीं हुआ है। 

 

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