दो विभागों के बीच तलवारें खिचीं -मामला एक प्लॉट के नामांतरण का

दो विभागों के बीच तलवारें खिचीं -मामला एक प्लॉट के नामांतरण का

Bhaskar Hindi
Update: 2020-03-06 08:33 GMT
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दोनों तरफ से चला आरोप-प्रत्यारोप, वरिष्ठ अधिकारियों ने किया हस्तक्षेप, तब निपटा मामला
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
एक प्लॉट के नामांतरण के मामले ने ऐसा तूल पकड़ा की दो विभाग आमने-सामने आ गये। दोनों विभागों के कर्मचारियों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाया। मामला दोपहर से शाम तक मचा रहा। शाम को जब दोनों विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया, तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ। 
पटवारी संघ ने आरोप लगाते हुए बताया कि अधारताल तहसील के लक्ष्मीपुर क्षेत्र में आर्थिक अपराध अन्वेषण  ब्यूरो में पदस्थ एक अधिकारी ने प्लॉट खरीदने के बाद अधारताल तहसील में नामांतरण के लिये आवेदन लगाया था।  तहसीलदार ने रिकॉर्ड में विक्रेता का नाम न होने और लिंक रजिस्ट्री न मिलने पर मामले को खारिज कर दिया था। वहीं मामले को लेकर यह भी कहा गया था कि प्लॉट, सोसायटी से खरीदा गया था उसके पूर्व के वर्षों के रिकॉर्ड नहीं हैं इसके साथ ही आवेदक को कई बार उपस्थित होने भी कहा गया, लेकिन कोई हाजिर नहीं हो रहा था, जिसके कारण प्रकरण अटका हुआ था। मामले में तहसीलदार ने दो पटवारियों को रिकॉर्ड निकालने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। पटवारियों ने गुरुवार को ईओडब्ल्यू के अधिकारी को वस्तुस्थिति बताई थी। इसके बाद अधिकारी कलेक्ट्रेट में काम कर रहे दो पटवारियों आजाद पटेल और इंद्रकुमार सोनी को अपने साथ ईओडब्ल्यू ऑफिस ले गये और वहाँ उन पर दबाव बनाया गया कि वे रिकॉर्ड ढूँढे और काम करें। इस मामले में संघ का कहना था कि उन्होंने कलेक्टर को पूरी वस्तुस्थिति बता दी है। दूसरी तरफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अधिकारी का कहना है कि नामांतरण का आवेदन खारिज किया जा रहा था और उनसे नामांतरण करने के लिये पैसे भी माँगे जा रहे थे। जान बूझकर िरकॉर्ड न होने की बात कही जा रही थी और बेवजह परेशान किया जा रहा था। वहीं पटवारियों को एक अलग मामले में पूछताछ के लिये बुलाया गया था और वे अपने वाहन से ही ऑफिस तक आये थे, जानकारी देने के बाद वे वापस भी चले गये थे। हमने अपने वरिष्ठ अधिकारी को भी यह जानकारी दी है। 
इनका कहना है
किसी मामले को लेकर हमारे विभागीय अधिकारियों ने दो पटवारियों को पूछताछ के लिये बुलाया था, इसमें किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। मामले को लेकर गलत फहमी हो गई थी, जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया। हमने कलेक्टर साहब को भी इससे अवगत करा दिया है। 
-नीरज सोनी, एसपी ईओडब्ल्यू
बिना किसी रिकॉर्ड के कैसे कोई काम किया जा सकता है यही बात ईओडब्ल्यू के एसपी से बात करके बताई गई। साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि पूरी जानकारी लेने के बाद ही हमारे विभाग के अधिकारियों को बुलाया जाये, बेवजह किसी को परेशान न किया जाये। 
-भरत यादव, कलेक्टर    

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