कम्प्यूटर युग में शिक्षकों को भी एमएससीआईटी  का ज्ञान जरूरीः हाईकोर्ट

कम्प्यूटर युग में शिक्षकों को भी एमएससीआईटी  का ज्ञान जरूरीः हाईकोर्ट

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-22 12:03 GMT
कम्प्यूटर युग में शिक्षकों को भी एमएससीआईटी  का ज्ञान जरूरीः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क , मुंबई। कम्प्यूटरीकरण के दौर में प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के पास कम्प्यूटर चलाने का बुनियादी ज्ञान होना ही चाहिए। तकनीकी कौशल को जरुरी समझने में कुछ गलत नहीं है। बॉबे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही है। याचिका में मुख्य रुप से प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को एमएससीआईटी का कोर्स अनिवार्य रुप से करने के निर्देश पर आपत्ति जताई गई थी। नाशिक जिला परिषद प्राथमिक शिक्षक कृति समिति की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि सरकार शिक्षकों की नियुक्ति के बाद एमएससीआईटी का कोर्स करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। राज्य सरकार के 10 जुलाई 2000 के निर्णय के तहत राज्य सरकार अथवा जिला परिषद के प्राइमरी स्कूलो में कार्यरत शिक्षकों के लिए एमएससीआईटी का सर्टिफिकेट अर्जित करना अनिवार्य किया था। याचिका में सरकार के इस निर्णय को लेकर जारी शासनादेश को अवैध बताया गया था। क्योंकि नियुक्ति के बाद शिक्षकों को इस तरह का सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।  

याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने कहा कि एक दौर के बाद यदि शिक्षकों के लिए तकनीकी कौशल की जानकारी को जरुरी समझा जाता है तो इसमें क्या गलत है? आज कम्प्यूटर के युग में प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के पास इसका ज्ञान होना ही चाहिए। सरकार ने शिक्षकों को एमएससीआइटी से जुड़ी परीक्षा को पास करने के लिए एक साल का समय दिया था। यह समय साल 2007 तक बढ़ाया गया था। इसके साथ ही साफ किया गया था कि जिस शिक्षक के पास एमएससीआईटी का प्रमाणपत्र नहीं होगा उसकी वेतन बढ़ोतरी को रोक दिया जाएगा। इसके बाद जिन शिक्षकों ने एमएससीआईटी परीक्षा नहीं पास की उन्हें दिए गए वेतन बढ़ोतरी की वसूली शुरु कर दी गई। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इस दौरान सरकारी वकील ने खंडपीठ से कहा कि सरकार ने नवंबर 2018 में एक आदेश जारी किया है कि जिन शिक्षकों के पास एमएससीआईटी का प्रमाणपत्र नहीं है, उनसे वेतन बढ़ोतरी  की वसूली नहीं की जाएगी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमारे संगठन के अधिकांश शिक्षकों ने एमएससीआईटी की परीक्षा पास कर ली है। इसके अलावा सरकार ने शिक्षकों के निवेदन पर समय भी बढ़ा दिया है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया। 

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