बदलने की आशंका : सरोगेसी से जन्में बच्चे की डीएनए जांच चाहता है दंपति

बदलने की आशंका : सरोगेसी से जन्में बच्चे की डीएनए जांच चाहता है दंपति

Tejinder Singh
Update: 2020-01-03 12:49 GMT
बदलने की आशंका : सरोगेसी से जन्में बच्चे की डीएनए जांच चाहता है दंपति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने बच्चे के पिता की पहचान के लिए होने वाली डीएनए जांच को लेकर राज्य सरकार को अपनी भूमिका स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि क्या कोई भी बिना रोक टोक के फोरेंसिक लैब में जाकर डीएनए जांच के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान कर यह जांच करा सकता है? या फिर इसके लिए कोई दिशा-निर्देश है? हाईकोर्ट में सरोगेसी के जरिए बच्चा हासिल करने वाले एक दंपत्ति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, क्या है डीएनए जांच के लिए नियम? 

बच्चे के जन्म को लेकर डाक्टर व अस्पताल से मिली संदिग्ध जानकारी के आधार पर अब दंपति बच्चे का डीएनए परीक्षण कराना चाहते हैं। जिससे यह साफ हो सके कि जो बच्चा उन्हें सरोगेसी के जरिए दिया गया है वह उनका ही है। दंपति ने याचिका में बच्चे के बदलने की आशंका जाहिर की है। क्योंकि बच्चे के जन्म के समय को लेकर उन्हें अलग-अलग जानकारी दी गई है। ऐसे में डीएनए जांच के जरिए ही बच्चे के पिता की पहचान हो पाएगी। दंपति ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कोर्ट को आश्वस्त किया है कि यदि डीएनए जांच की रिपोर्ट नकारात्मक आती है तो भी वे बच्चे की देखरेख करेंगे उसे अनाथ नहीं छोड़ेगे। याचिका में मांग की गई है कि इस मामले में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार डाक्टरों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। 

शुक्रवार को न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति नितिन बोरकर की खंडपीठ के सामने दंपति की यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले में सरकार की भूमिका जानना चाहते हैं। क्या कोई भी बिना रोक टोक के प्रयोगशाला में जाकर बच्चे के पिता की पहचान के लिए डीएनए जांच शुल्क का भुगतान कर यह जांच करा सकता है। सहायक सरकारी वकील के वी सस्ते ने कहा कि उन्हें इस मामले में निर्देश लेने के लिए थोड़ा वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 

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