गर्भ में पल रहे शिशु का इलाज संभव, जागरूकता फैलाने के लिए क्या कर रही सरकार : HC

गर्भ में पल रहे शिशु का इलाज संभव, जागरूकता फैलाने के लिए क्या कर रही सरकार : HC

Tejinder Singh
Update: 2017-11-23 13:25 GMT
गर्भ में पल रहे शिशु का इलाज संभव, जागरूकता फैलाने के लिए क्या कर रही सरकार : HC

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गर्भ में पल रहे 26 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति को लेकर दायर याचिका पर डॉक्टरों की रिपोर्ट मांगी है। महिला ने याचिका में दावा किया कि गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति असामान्य है। उसकी स्पाइन में दिक्कत है। इसके अलावा शरीर के दूसरे हिस्से भी ठीक से काम नहीं कर रहे। सोनोग्राफी की जांच रिपोर्ट में उसे बच्चे की असामान्य हालत की जानकारी मिली है। जिसके बाद महिला ने कोर्ट से गुहार लगाई है। बच्चे के जन्म को लेकर महिला कई तरह से मानसिक परेशानियों से जूझ रही है।

ये है मामला

गुरुवार को न्यायमूर्ति शांतनु केमकर और न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल के गर्भ में 26 सप्ताह 4 दिन का भ्रूण है। जिसकी असामान्य हालत के कारण महिला को गहरा मानसिक आघात लगा है। कानून 20 सप्ताह के ऊपर भ्रूण के गर्भपात की इजाजत नहीं देता है। इसलिए कोर्ट मे याचिका दायर की है। सोनोग्राफी की रिपोर्ट के अनुसार बच्चे की स्थिति ठीक नहीं है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने सरकारी वकील को विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम का मेडिकल बोर्ड़ बनाकर महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा। 

सरकार से  सवाल

खंडपीठ ने कहा की अब तो भ्रूण का भी इलाज संभव है। कुछ निजी अस्पताल इलाज भी करते हैं। सरकार ने इस दिशा में जागरूकता फैलाने को लेकर कौन से कदम उठाए हैं, इसकी जानकारी भी अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मागी है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि गर्भ में भ्रूण के इलाज को लेकर सरकार ने जनता को जागरुक करने के लिए क्या किया है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दी है।

 

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