अनुसूचित जनजाति के कोरोना मरीजों के रेमडेसिविर का खर्च उठाएगा आदिवासी विभाग 

अनुसूचित जनजाति के कोरोना मरीजों के रेमडेसिविर का खर्च उठाएगा आदिवासी विभाग 

Tejinder Singh
Update: 2021-04-20 14:20 GMT
अनुसूचित जनजाति के कोरोना मरीजों के रेमडेसिविर का खर्च उठाएगा आदिवासी विभाग 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में निजी अस्पतालों में भर्ती हुए अनुसूचित जनजाति के कोरोना मरीजों के उपचार के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन का खर्च राज्य सरकार का आदिवासी विकास विभाग उठाएगा। इसके लिए आदिवासी विकास विभाग के सभीएकात्मिक परियोजना अधिकारी को न्यूक्लियस बजट से दस लाख रुपए खर्च करने को मान्यता दी गई है। प्रदेश के आदिवासी विकास मंत्री केसी पाडवी ने मंगलवार को बताया कि आदिवासी विकास विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। आदिवासी समाज के लोगों की आय के सीमिति साधन को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। अनुसूचित जनजाति के मरीजों के निजी अस्पतालों में भर्ती होने पर एकात्मिक परियोजना अधिकारी के जरिए संबंधित मरीज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की सुविधा का लाभ केवल आठ लाख तक वार्षिक आय वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिल सकेगा। जिस निजी अस्पताल में अनुसूचित जनजाति के कोरोना मरीज भर्ती होंगे वह सरकार के महात्मा ज्योतिबा फुले जनआरोग्य योजना के तहत पंजीकृत नहीं होना चाहिए। इस सुविधा का लाभ देने के लिए आदिम जनजाति, विधवा, निराधार महिला, विकलांग, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी मरीजों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया है।पाडवी ने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों के उपचार के लिए निधि कम पड़ने नहीं दी जाएगी। आदिवासी विकास विभाग की ओर से स्वास्थ्य संबंधित उपाय योजना के लिए 172 करोड़ रुपए दिए गए हैं। 
 

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