जीएसटी रिटर्न भरने में क्यों आ रहीं हैं दिक्कतें?

 जीएसटी रिटर्न भरने में क्यों आ रहीं हैं दिक्कतें?

Bhaskar Hindi
Update: 2020-02-22 08:25 GMT
 जीएसटी रिटर्न भरने में क्यों आ रहीं हैं दिक्कतें?

टैक्स बार एसोसिएशन की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार सहित 5 से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार सहित पांच से पूछा है कि जीएसटी की वार्षिक विवरणी और ऑडिट विवरण ऑनलाइन भरने में लोगों को क्यों परेशानियां आ रहीं हैं? एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय देकर अगली सुनवाई 28 मार्च को निर्धारित की है।
टैक्स बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष वीके दवे की ओर से दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि जीएसटी कानून के अनुसार 2 करोड़ से ऊपर वार्षिक टर्नओवर वाले प्रत्येक रजिस्ट्रीकत व्यक्ति को वर्ष समाप्ति के  पश्चात अपने टर्नओवर की वार्षिक विवरणी तथा आडिट रिपोर्ट ऑनलाइन भरना अनिवार्य किया गया है । देश भर के सभी राज्यों के व्यापारियों के लिये एक ही कॉमन पोर्टल है, जिस पर उन्हें रिटर्न फाइल करना होती है। वर्ष 2017-18  के खातों के लिए अंतिम तिथि 31 जनवरी 2020 थी, परन्तु जनवरी के अंतिम दो सप्ताहों में क्षमता कम होने के कारण कॉमन पोर्टल की रफ्तार काफी धीमी हो गई, जिससे बहुत बड़ी संख्या में व्यापारी वर्ग आखिरी तिथि तक अपने विवरण फाइल करने से वंचित हो गए। अब समय पर विवरणी फाईल न होने पर उन व्यवसायियों पर विलंब शुल्क व पेनाल्टी  लगाई जा रही, जो अवैधानिक है। याचिका में कहा गया है कि पोर्टल की क्षमता को लेकर कई बार कर सलाहकारों ने विभिन्न माध्यमों के जरिए केंद्र सरकार, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड एवं जीएसटी नेटवर्क का ध्यान आकृष्ट कराया गया। इस बारे में कर सलाहकारों द्वारा देशव्यापी आन्दोलन किये जाने पर अंतिम तिथि बढ़ाकर 7 फरवरी तो कर दी गई,  लेकिन फिर भी पोर्टल में कोई सुधार न होने पर यह जनहित याचिका दायर की गई। याचिका में केन्द्र सरकार के वित्त विभाग, जीएसटी काउंसिल नई दिल्ली, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड नई  दिल्ली के चेयरमेन, जीएसटी नेटवर्क नई दिल्ली और राज्य कर आयुक्त को पक्षकार बनाया गया है। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से याचिकाकर्ता की ओर से कर सलाहकार व अधिवक्ता नितिन अग्रवाल ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
 

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