पाटील ने पूछा - मोदी के ऑफर की बात बताने में पवार ने क्यों की इतनी देरी, राऊत बोले - मुझे पता था

भाजपा के साथ सरकार बनाने प्रतिस्पर्धा  पाटील ने पूछा - मोदी के ऑफर की बात बताने में पवार ने क्यों की इतनी देरी, राऊत बोले - मुझे पता था

Tejinder Singh
Update: 2021-12-30 14:36 GMT
पाटील ने पूछा - मोदी के ऑफर की बात बताने में पवार ने क्यों की इतनी देरी, राऊत बोले - मुझे पता था

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के उस बयान को लेकर निशाना साधा है जिसमें उन्होंने कहा था कि साल 2019 के विधानसभा चुनाव बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा थी कि राकांपा राज्य में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ले।गुरुवार को पुणे में पाटील ने कहा कि यदि मोदी ने पवार को सरकार बनाने के लिए ऑफर दिया था तो यह बात बताने में उन्हें इतना समय क्यों लगा? पाटील ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पवार का इतिहास सच बोलने का है। लेकिन यदि पवार को ऐसा प्रस्ताव मिला होता तो उसे ठुकराने की राजनीतिक नासमझी उनमें नहीं है। पाटील ने दावा किया कि महाविकास आघाड़ी सरकार से बाहर निकलकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए राकांपा और शिवसेना के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। बीते दो दिनों का घटनाक्रम इसी का परिणाम है। पाटील ने कहा कि हमारी शिवसेना और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाने की इच्छा नहीं है पर इस बारे में अंतिम फैसला भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लेगा। 

पार्टी में चर्चा के बाद पवार ने किया था इंकारः मलिक

जबकि राकांपा प्रवक्ता तथा प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि पवार की बातों में सच्चाई है। मोदी का आग्रह था कि राज्य में भाजपा और राकांपा गठबंधन की सरकार बने। लेकिन पार्टी से चर्चा के बाद पवार ने भाजपा से गठबंधन के लिए मना कर दिया था। 

पवार ने मुझे दी थी जानकारीः राऊत

वहीं शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि पवार की बातों में सच्चाई है। पवार ने मोदी के प्रस्ताव के बारे में मुझे बताया था। राऊत ने कहा कि उस समय हम एक-दूसरे से कोई बात छिपाते नहीं थे। हमारे पास गुप्त कुछ नहीं था। कौन किससे क्या बोल रहा है और किससे किसकी मुलाकात हो रही है। इसको लेकर हमारे बीच एकदम पारदर्शिता थी। संभवतः यह बात भाजपा को मालूम नहीं थी। इसी पारदर्शिता के चलते भाजपा सरकार नहीं बन सकी। राऊत ने दावा किया कि अजित पवार 23 नवंबर 2019 को देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर शपथ ली थी। इस बारे में भी शिवसेना और राकांपा के बीच पारदर्शिता थी। पारदर्शिता के कारण ही शपथ लेने के दिन ही अजित पवार के साथ टूटकर गए राकांपा के विधायक वापस आ गए थे। 

पत्रकारों पर भड़के अजित पवार

राऊत के इस दावे पर पुणे में जब पत्रकारों ने उपमुख्यमंत्री से अजित पवार से सवाल पूछा तो वे भड़क गए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाने की घटना पर कुछ नहीं बोलना है। मैंने शुरुआती दिनों में ही कह दिया था कि मुझे इस संबंध में कुछ नहीं बोलना है। जब मुझे ठीक लगेगा तब मैं बोलूंगा। यह मेरा अधिकार है।

इसके पहले बुधवार को पवार ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा था कि प्रदेश में सरकार बनाने के लिए भाजपा और राकांपा एक साथ आ जाए। इस पर मेरी उनसे चर्चा भी हुई थी। लेकिन मैंने उनके कार्यालय में खुद जाकर कहा कि यह संभव नहीं होगा। हम आपको अंधेरे में नहीं रख सकते। सरकार बनाने के लिए हमारी भूमिका अलग है। इस पर मोदी ने मुझ से कहा कि था कि आप थोड़ा और विचार करिए। पवार ने कहा कि चुनाव के डेढ़ महीने के बाद भी सरकार नहीं बन सकी थी। इससे स्वभाविक रूप से भाजपा और शिवसेना के बीच की दूरियां बढ़ गई थी। शायद इसलिए मोदी राज्य में स्थायी सरकार के लिए राकांपा को साथ लेने के बारे में सोचा होगा।

इस दौरान पवार ने कहा था कि कि लोग कहते हैं कि भाजपा की सरकार बनाने के लिए मैंने ही अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस के पास भेजा था। लेकिन यदि मैंने अजित को भेजा होता तो वह स्थायी सरकार बनाते। अजित अधूरा काम नहीं करते। वह फडणवीस से समर्थन वापस नहीं लेते। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2019 को अजित पवार के पीछे हट जाने के बाद तत्कालीन फडणवीस सरकार गिर गई थी। जिसके बाद 28 नवंबर 2019 को शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस ने मिल कर महाविकास आघाड़ी सरकार बनाई थी।  


 

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