सरकार डिनोटिफाईड, खानाबदोश और अर्ध घुमंतू जनजातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए योजना शुरू करेगी

नई दिल्ली सरकार डिनोटिफाईड, खानाबदोश और अर्ध घुमंतू जनजातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए योजना शुरू करेगी

IANS News
Update: 2022-02-15 11:00 GMT
सरकार डिनोटिफाईड, खानाबदोश और अर्ध घुमंतू जनजातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए योजना शुरू करेगी
हाईलाइट
  • 16 फरवरी को डॉ वीरेंद्र कुमार करेंगे शुभारंभ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय डि-नोटिफाइड (डीएनटी ), खानाबदोश और अर्ध घुमंतू जनजातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए योजना की बुधवार को शुरूआत करेगा। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार 16 फरवरी को यहां डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में इस योजना का शुभारंभ करेंगे।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डि-नोटिफाइड, खानाबदोश और अर्ध-घुमंतू जनजाति सबसे अधिक उपेक्षित, आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित समुदाय हैं। उनमें से अधिकांश पीढ़ियों से निराश्रित जीवन जी रहे हैं और अभी भी अनिश्चित और अंधकारयुक्त भविष्य में हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विपरीत गैर-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्ध-खानाबदोश जनजातियों को हमारे विकासात्मक ढांचे की योजना का लाभ नहीं मिला है।

मंत्रालय के अनुसार, डीएनटी समुदायों के उन परिवारों के लिए सशक्तिकरण के लिए एक योजना तैयार की गई है, जिनकी सालाना आय 2.50 लाख रुपये या उससे कम है और वे केंद्र सरकार या राज्य सरकार की समान योजनाओं से इस तरह का कोई लाभ नहीं उठा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि में 200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ इस योजना के चार घटक होंगे।

योजना के तहत इन समुदायों के उम्मीदवारों के लिए अच्छी गुणवत्ता की कोचिंग प्रदान करना है ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो सकें। इसके तहत इन समुदायों को आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के मानदंडों के अनुसार स्वास्थ्य बीमा दायरे में भी लाया जाना है। इन समुदायों के छोटे समूहों को सशक्त करने के लिए सामुदायिक स्तर पर आजीविका पहल की सुविधा के अलावा इनके घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की भी योजना है

मंत्रालय के अनुसार  ऐतिहासिक रूप से इन समुदायों की कभी भी निजी भूमि या घर के स्वामित्व तक पहुंच नहीं थी। इन जनजातियों ने अपनी आजीविका और आवास के उपयोग के लिए जंगलों और चराई की भूमि का उपयोग किया। उनमें से कई विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं और अपने अस्तित्व के लिए जटिल पारिस्थितिक निशान बनाते हैं। पारिस्थितिकी और पर्यावरण में परिवर्तन उनके आजीविका विकल्पों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।

 

(आईएएनएस)

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