डोकलाम विवाद पर 'बात करने की कोई गुंजाइश ही नहीं' : चीनी मीडिया

डोकलाम विवाद पर 'बात करने की कोई गुंजाइश ही नहीं' : चीनी मीडिया

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-16 02:35 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में चीन के साथ तनातनी को खत्म करने के लिए विदेश मंत्रालय की ओर से बात करने पर चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है। चीन की आधिकारिक प्रेस एजेंसी सिन्हुआ में छपे एक लेख के मुताबिक इस मामले में किसी भी प्रकार की कोई भी बात करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

चीन की स्टेट काउंसिल के तहत काम करने वाली और आधिकारिक प्रेस एजेंसी सिन्हुआ के एक लेख में कहा गया है कि चीन के लिए सीमा रेखा ही बॉटम लाइन थी। ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन की सरकारी मीडिया ने इस वाक्य का प्रयोग किया है। पिछले सप्ताह भी सिन्हुआ और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अखबार पीपुल्स डेली ने इसका प्रयोग किया था।

लेख के मुताबिक, 'डोकलाम क्षेत्र से सेना वापस बुलाने की चीन की मांग को भारत लगातार अनसुना कर रहा है। हालांकि चीन की बात नहीं मानना महीनों से चल रहे इस गतिरोध को और बिगाड़ेगा ही और बाद में भारत के लिए शर्मिंदगी का विषय बन जाएगा।'

भारत पीछे नहीं हट सकता

चीन के साथ भूटान के क्षेत्र डोकलाम पर चल रहे विवाद में भारत पीछे नहीं हट सकता। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में विदेश सचिव एस जयशंकर ने इसके सामरिक और रणनीतिक महत्व को बताते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है।

वही रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जरूरत पड़ी तो डोकलाम में भारत और सेना भेजने के लिए तैयार है। ऐसे में भारत और चीन के बीच डोकलाम पर चल रही तनातनी के कुछ दिन चलने के आसार हैं। भारत अपने इस रुख पर कायम है और डोकलाम से पीछे नहीं हटा जा सकता।

चीन द्वारा कश्मीर में तीसरे देश के हस्तक्षेप की धमकी पर मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि इस पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है। पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का भी कहना है कि चीन से कुछ भी बोल देने वाली प्रतिक्रिया आ रही है। ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा है और बदहवासी में कोई भी बयान दे रहे हैं। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वाॅर के आसार बनते हैं तो दोनों ही देशों को बड़ी हानि का सामना करना पड़ सकता है।

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