केरोसिन से उड़ेगा इसरो का रॉकेट
केरोसिन से उड़ेगा इसरो का रॉकेट
Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-15 07:55 GMT
टीम डिजिटल, नई दिल्ली. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) जल्द ही एक और कीर्तिमान रचने की तैयारी में है. यह अब केरोसिन से रॉकेट उड़ाने की तैयारी कर रहा है. इसरो एक सेमी-क्रायोजेनिक इंजन बनाने जा रहा है, जिसमें ईंधन के रूप में केरोसिन का प्रयोग होगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसरो इस सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का फ्लाइट टेस्ट 2021 में करने की तैयारी में है.
पारंपरिक ईंधनों के मुकाबले केरोसिन के फायदे :
- लिक्विड फ्यूल के मुकाबले रिफाइंड केरोसिन हल्का होता है.
- केरोसिन सामान्य तापमान पर स्टोर करके रखा जा सकता है. जबकि लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन के मिश्रण को शून्य से नीचे -253 डिग्री तापमान पर स्टोर करके रखना पड़ता है.
- केरोसिन रॉकेट लॉन्च के दौरान अपेक्षाकृत ज्यादा शक्तिशाली थ्रस्ट उत्पन्न करता है.
- केरोसिन कम जगह लेता है और इस वजह से इंजन में ज्यादा फ्यूल डाला जा सकता है.
- केरोसिन से रॉकेट के जरिए लॉन्च होने वाले पेलोड की क्षमता चार टन से बढ़ाकर 6 टन हो जाएगी.
- केरोसिन से चलने वाले इंजन से लैस रॉकेट के जरिए ज्यादा वजनी सैटलाइट स्पेस में भेजे जा सकेंगे.
गौरतलब है कि इससे पहले इसरो ने एक बार में अंतरिक्ष में एक साथ 104 उपग्रह छोड़ इतिहास रच दिया था. हाल में इसरो ने सबसे वजनी रॉकेट का भी प्रक्षेपण किया था.