नाबालिग से रेप और दलित आंदोलन: सरकार लाएगी 'दो महत्वपूर्ण ऑर्डिनेंस'

नाबालिग से रेप और दलित आंदोलन: सरकार लाएगी 'दो महत्वपूर्ण ऑर्डिनेंस'

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-20 13:27 GMT
हाईलाइट
  • ऑर्डिनेंस से SC/ST एक्ट को पुराने स्वरूप में ही लाने का फैसला ले सकती है।
  • दलित आंदोलन के दौरान ही विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर दलितों से जुड़े कानून को कमजोर कर रही है।
  • रेप के मौजूदा कानून (POCSO एक्ट) को और भी सख्त करने की मांग उठ रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी इस मांग का समर्थन किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में लगातार बढ़ रहे नाबालिग बच्चियों से रेप के मामले और दलित आंदोलन के बाद मोदी सरकार मुश्किल में नजर आ रही थी। मगर अब पीएम नरेंद्र मोदी ने इन दोनों ही मामलों को ध्यान में रखते हुए दो महत्वपूर्ण ऑर्डिनेंस लाने का फैसला किया है। सूत्रों से मिला जानकारी के अनुसार मोदी सरकार इसी शनिवार तक यह दोनों ही महत्वपूर्ण ऑर्डिनेंस पर फैसला ले सकती है। इसके तहत पहला ऑर्डिनेंस से POCSO एक्ट और दूसरा SC/ST कानून पर होगा।

POCSO एक्ट में बदलाव
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में बीजेपी विधायक पर नाबिलग से गैंगरेप के आरोप लगे हैं। इसके अलावा जम्मु-कश्मीर के कठुआ में भी एक 8 साल की मासूम बच्ची से गैंगरेप के बाद हत्या के मामले ने मोदी सरकार को कटघरे में ला दिया। इन सभी मामलों के बाद से ही रेप के मौजूदा कानून (POCSO एक्ट) को और भी सख्त करने की मांग उठ रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी इस मांग का समर्थन किया।

SC/ST कानून पर पुनर्विचार
सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा SC/ST एक्ट काफी कुछ बदलाव किए थे। इसके बाद से ही देशभर में इसके खिलाफ एक बड़ा दलित आंदोलन हुआ था। इस दौरान कई जगह जान-माल की भी काफी हानि हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस SC/ST एक्ट में बदलाव करते हुए इसमें जेल भेजने से पहले कुछ शर्तें लगा दी थी। इसमें बदलाव करते हुए FIR दर्ज करने से पहले पुलिस को पूरे मामले की गहन जांच करने संबंधी प्रावधान रखा गया था। इसके विरोध में ही यह बड़ा दलित आंदोलन हुआ था।

यही कारण है कि मोदी सरकार अपने इस दूसरे ऑर्डिनेंस से SC/ST एक्ट को पुराने स्वरूप में ही लाने का फैसला ले सकती है। बता दें कि दलित आंदोलन के दौरान ही विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर दलितों से जुड़े कानून को कमजोर कर रही है। इस दौरान खुद बीजेपी के भी कई दलित सांसद इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आ गए थे। मोदी सरकार इस मामले में चारों ओर से घिरती नजर आ रही थी। यही कारण है कि मोदी सरकार अपने अपने दूसरे ऑर्डिनेंस से SC/ST एक्ट को पुराने स्वरूप में ही लाने का फैसला ले सकती है।

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