अयोध्या विवाद को लेकर सलमान नदवी का यू टर्न, खुद को किया मामले से अलग

अयोध्या विवाद को लेकर सलमान नदवी का यू टर्न, खुद को किया मामले से अलग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-02 12:40 GMT
अयोध्या विवाद को लेकर सलमान नदवी का यू टर्न, खुद को किया मामले से अलग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से निकाले गए मौलाना सलमान नदवी ने यू टर्न ले लिया है। पहले जहां उन्होंने अयोध्या विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने का फॉर्मला सुझाया था, तो वहीं अब वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की वकालत कर रहे है। श्री श्री रविशंकर से मुलाकात के बाद मौलाना नदवी ने देर रात लखनऊ में ये बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वो अब अयोध्या मसले में नहीं पड़ना चाहते हैं।

राम मंदिर- बाबरी मसला अब एजेंडे में नहीं
मोलाना नदवी ने कहा कि इस मामले का जो पक्षकार है अब नहीं इस मामले को सुलझाएं। उन्होंने साफ कहा कि राम मंदिर- बाबरी मस्जिद मसले को उन्होंने अपने एजेंडे से निकाल दिया है। अब वह इस मामले में बिल्कुल भी पड़ना नहीं चाहते। नदवी ने कहा कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए। अपने पुराने स्टैंड को लेकर नदवी ने कहा कि मीडिया ने उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में वापस लौटने को लेकर नदवी ने कहा कि वह अपनी शर्तों पर ही  AIMPLB में लौटेंगे। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी, कमाल फारूकी, कासिम रसूल और यूसुफ मचाला को बोर्ड से बाहर किया जाना चाहिए।

मौलाना नदवी ने क्या दिए थे प्रपोजल्स? 
1. पहले प्रपोजल में कहा गया है कि 10 एकड़ की विवादित जमीन जो निर्मोही अखाड़े के कब्जे में है, वो मुसलमानों को दे दी जाए और उसके बदले में हिंदुओं को विवादित जमीन दे दी जाए।

2. दूसरे प्रपोजल में कहा गया है कि गोरखपुर हाईवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी बनाई जाए और उसी के कैंपस में मस्जिद को जगह दी जाए।

3. आखिरी प्रपोजल में कहा गया है कि विवादित जमीन के पास जहां लकड़ी काटने की यूनिट लगी है, वहां पर मस्जिद बनाई जाए।

अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद देश का ऐसा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।

14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।

 

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