हनुमान जी पर बोले ST आयोग के अध्यक्ष साय, बजरंगबली अनुसूचित जनजाति के थे

हनुमान जी पर बोले ST आयोग के अध्यक्ष साय, बजरंगबली अनुसूचित जनजाति के थे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-30 07:11 GMT
हनुमान जी पर बोले ST आयोग के अध्यक्ष साय, बजरंगबली अनुसूचित जनजाति के थे
हाईलाइट
  • आदिवासियों की तरह जंगल में रहते थे हनुमान: साय
  • इससे पहले यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को बताया था दलित
  • साय ने कहा
  • भगवान राम की सेना में थे जनजाति के लोग

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के हनुमान को दलित बताए जाने वाले बयान ने एक बहस को जन्म दे दिया है। अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने हनुमान जी को अनुसूचित जनजाति का बताया है। साय ने कहा कि अनुसूचित जनजाति में हनुमान एक गोत्र होता है, जिससे साबित होता है कि हनुमान जी दलित नहीं हैं। 


एक बैठक में हिस्सा शामिल होने लखनऊ पहुंचे साय ने कहा कि जैसे तिग्गा एक गोत्र होता है, तिग्गा का मतलब बंदर होता है। इसी तरह कुछ जनजातियों में हनुमान गोत्र भी होता है। साय ने गुरुवार को कहा कि हनुमान जी अनुसूचित जनजातियों की तरह ही जंगलों में रहते थे, इसलिए वे जनजाति के हुए। उन्होंने कहा कि दंडकारण्य में भगवान राम ने जो सेना बनाई थी, उसमें जनजाति के लोग भी शामिल थे। 

 
इससे पहले अलवर जिले के मालाखेड़ा में बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी पर बयान दिया था। उन्होंने बजरंगबली को दलित बताते हुए गिरवासी और वनवासी करार दिया था। योगी ने कहा था कि हनुमान जी ऐसे देवता हैं, जो दलित, वंचित, गिरवासी और वनवासी हैं। 


यूपी सीएम के इस बयान पर राजस्थान की ब्राम्हण सभा ने नाराजगी भी प्रकट की थी। ब्राम्हण सभा ने हनुमान जी को जातियों में बांटने का आरोप लगाते हुए योगी आदित्यनाथ को कानूनी नोटिस भी भेजा था। योगी के बयान पर तंज कसते हुए कांग्रेस ने भगवान को जातियों में बांटने का आरोप लगाया था।

बता दें कि अविभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आदिवासी नेता नंद कुमार साय तीन बार लोकसभा सांसद, दो बार राज्यसभा सांसद और चार बार विधायक रहे हैं। वो अविभाजित मप्र में बीजेपी अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ के बीजेपी चीफ और छग विधानसभा के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। साय को मोदी सरकार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया है।

 

 

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