राहुल फिर सरकार पर हमलावर: ट्वीट कर कहा- सरकार के कायरतापूर्ण कदमों की वजह से देश चुकाएगा भारी कीमत

राहुल फिर सरकार पर हमलावर: ट्वीट कर कहा- सरकार के कायरतापूर्ण कदमों की वजह से देश चुकाएगा भारी कीमत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-18 18:36 GMT
राहुल फिर सरकार पर हमलावर: ट्वीट कर कहा- सरकार के कायरतापूर्ण कदमों की वजह से देश चुकाएगा भारी कीमत
हाईलाइट
  • एलएसी पर भारत के रुख से चीन और आगे बढ़ेगा
  • नरम रुख की भारत को चुकानी पड़ रही है कीमत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच एलएसी पर चल रहे विवाद को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लद्दाख दौरे पर दिए बयान का हवाला देते हुए शनिवार को दावा किया कि सरकार के ‘कायरतापूर्ण कदमों’ की भारत भारी कीमत चुकाने जा रहा है।

 

राहुल सीमा विवाद की शुरुआत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन के सामने सरेंडर होने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने लद्दाख में सिंह के बयान से जुड़ा एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, चीन ने हमारी जमीन ले ली और भारत सरकार चेंबरलिन (पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री) की तरह व्यवहार कर रही है। इससे चीन का हौसला और बढ़ेगा।

राजनाथ ने किया था लद्दाख का दौरा
गौरतलब है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर स्थिति का जायजा लेने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ लेह पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत की एक इंच जमीन को कोई ले नहीं सकता है। भारतीय सेना के ऊपर हमें नाज़ है। मैं जवानों के बीच आकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हमारे जवानों ने शहादत दी है। इसका गम 130 करोड़ भारतवासियों को भी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि जो कुछ भी अब तक बातचीत की प्रगति हुई है, उससे मामला हल होना चाहिए। कहां तक हल होगा इसकी गारंटी नहीं दे सकता, लेकिन इतना यकीन मैं जरूर दिलाना चाहता हूं कि भारत की एक इंच जमीन भी दुनिया की कोई ताकत छू नहीं सकती, उस पर कोई कब्ज़ा नहीं कर सकता।

कौन हैं चेम्बरलेन, जिनका किया जिक्र
राहुल ने केंद्र सरकार की तुलना पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री नेविल चेम्बरलेन से की। ब्रिटेन के नेविल चेम्बरलेन कंजरवेटिव पार्टी के नेता थे। वह मई 1937 से मई 1940 तक ब्रिटेन प्रधानमंत्री रहे। वह अपनी तुष्टिकरण की विदेश नीति, विशेष रूप से 30 सितंबर 1938 को म्यूनिख समझौते पर अपने हस्ताक्षर के लिए जाने जाते हैं। चेम्बरलेन ने यह हस्ताक्षर चेकोस्लोवाकिया के जर्मन-भाषी सुडेटेनलैंड क्षेत्र को लेकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर से करार में किया था। उन्हें लगा था कि जर्मनी चेकोस्लोवाकिया पर हमला नहीं करेगा, लेकिन जर्मन ने 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर अटैक कर दिया। इसके दो दिन बाद चेम्बरलेन ने जर्मन से युद्ध का ऐलान किया और यहीं से दूसरे वर्ल्ड वार की शुरुआत हुई।

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