जीएसटी की आगामी बैठक में फिर रेट रिवाइज !

जीएसटी की आगामी बैठक में फिर रेट रिवाइज !

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-15 13:08 GMT
जीएसटी की आगामी बैठक में फिर रेट रिवाइज !

टीम डिजिटल, नई दिल्ली. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में दरों के फिर से रिवाइज होने की संभावना है. आगामी 18 जून को होने वाली 17वीं बैठक केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होनी है. इसमें कुछ और वस्तुओं की दरों पर फिर विचार होगा. वित्त मंत्रालय से जारी बयान के मुताबिक़ बैठक का मुख्य एजेंडा पुरानी जीएसटी बैठक में लिए गए नियमों का संशोधन और आकलन के साथ-साथ जीएसटी दरों का रिवाइज होना है.

बैठक में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्तमंत्री व अधिकारी भाग लेंगे. परिषद ने पिछली बैठक में प्रपोजल के लिए आईं 133 में से 66 चीजों की दरों का संशोधन किया था. ज्ञात हो कि अब तक जीएसटी परिषद २००० से ज्यादा वस्तुओं की दरों को तय कर चुकी है.

सस्ता मनोरंजन और सस्ता 

जीएसटी की पिछली मीटिंग में मनोरंजन कर को दो श्रेणियों में रखकर सस्ते को सस्ता और महंगे को और महंगा किया है. मसलन 100 रुपए से कम के टिकट पर 18 और उससे अधिक के टिकट पर 28 फीसदी कर वसूला जाएगा. 

आउटसोर्सिग को बढ़ावा

11 जून की बैठक में विभिन्न क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग को बढ़ावा देने के लिए हीरा, चमड़ा, कपड़ा, आभूषण और प्रिटिंग के क्षेत्र में अगर कर्मचारी अपना काम घर से करते हैं, तो उस पर जीएसटी की दर 5 फीसदी तय की गई है. 

इनको किया था सस्ता 

काजू पर लगाए गए 12 फीसदी कर को घटाकर 5 फीसदी किया गया है. वहीं, अचार, चटनी, कैचप और इंस्टेंट फूड मिक्स पर 18 की जगह 12 फीसदी कर वसूला जाएगा. कटलरी पर भी 18 नहीं 12 फीसदी वसूलने की तैयारी है. कंप्यूटर प्रिंटर पर कर की दर 28 से घटाकर 18 फीसदी की गई है. इंसुलिन और अगरबत्ती पर भी 12 से घटाकर 5 फीसदी दर लागू की गई है. स्कूल बैग पर 28 फीसदी कर था, जिसे 18 फीसदी किया गया है. वहीं, एक्सरसाइज बुक पर भी कर दर 18 से घटाकर 12 फीसदी की गई है.

कहीं-कहीं विरोध भी 

लगभग 17 साल की खींचतान के बाद इस करसुधार को आखिरकार लागू किया जाना है. एक जुलाई से लागू होने जा रहे सबसे बड़े कर सुधार को लेकर देश में कहीं-कहीं विरोध भी देखने को मिल रहा है. पिछली मीटिंग के दौरान पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भी इसका विरोध करते हुए कहा था कि इसे किसी जुगाड़ से लागू नहीं किया जाना चाहिए. एमपी का चैम्बर ऑफ़ कामर्स भी इसके विरोध में एक दिन का बंद गुरूवार को रख चुका है. 

 

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