Remembering: अपने पेशे के लिए पागल थीं गौरी लंकेश, एक रिपोर्ट से मचा दिया तहलका और खो दिए प्राण

Remembering: अपने पेशे के लिए पागल थीं गौरी लंकेश, एक रिपोर्ट से मचा दिया तहलका और खो दिए प्राण

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-29 03:33 GMT
Remembering: अपने पेशे के लिए पागल थीं गौरी लंकेश, एक रिपोर्ट से मचा दिया तहलका और खो दिए प्राण
हाईलाइट
  • एक रिपोर्ट की वजह से देनी पड़ी जान
  • पत्रकार गौरी लंकेश की जयंती आज
  • प्रोफेशनल लाइफ में काफी एक्टिव थी गौरी

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। एक समय की जानी मानी पत्रकार गौरी लंकेश का जन्म 29 जनवरी 1962 को कर्नाटक में हुआ था। उनके पिता पी. लंकेश कन्नड़ के प्रसिद्ध लेखक, कवि एवं पत्रकार होने के सा​थ साथ फिल्म निर्माता भी थे। गौरी ने भी अपने पिता की तरह पत्रकारिता का पेशा चुना और इसमें काफी एक्टिव भी रहीं।

गौरी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत बेंगलुरू में "टाइम्स ऑफ इंडिया" से की थी। गौरी ने साल 2017 में भाजपा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके बाद से उन्हें काफी परेशान होना पड़ा। नेताओं ने गौरी के खिलाफ मान हानि का केस दर्ज किया और उन्हें 6 महीने की जेल भी हुई।

एक दिन अचानक 5 सितंबर 2017 में गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया था। उनकी मौत से मीडिया जगत के लोगों में काफी रोष व्याप्त हो गया। आज अगर गौरी जिंदा होती तो अपना 58 वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहीं होती। आज इस खास अवसर पर जानते हैं गौरी लंकेश के बारे में, जिन्होंने कुछ नेताओं की रात की नींद उड़ा दी और उनकी मौत से देशभर में तहलका मच गया। 

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पिता की तरह चुनी पत्रकारिता
पत्रकारिता से जुड़ी होने के कारण गौरी की कन्नड़ और अंग्रेजी भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी। "टाइम्स ऑफ इंडिया" और "संडे" मैग्जीन में संवाददाता के रूप में काम करने के बाद उन्होंने बेंगलूरू में रहकर मुख्यतः कन्नड़ में पत्रकारिता करने का निर्णय किया। साल 2000 में जब उनके पिता पी. लंकेश की मृत्यु हुई ​तो उन्होंने अपने भाई इंद्रजीत के साथ मिलकर, पिता की ​पत्रिका "लंकेश पत्रिके" का कार्यभार संभाला। जल्द ही इस मैग्जीन से जुड़े विवाद भी सामने आने लगे।

साल 2005 में इस मैग्जीन में गौरी की सहमति से पुलिस पर नक्सलवादियों के हमला करने से संबंधित एक रिर्पोट छपी। बाद में 13 फरवरी 2005 को पत्रिका के मुद्रक प्रकाशक इंद्रजीत ने नक्सलियों का समर्थन करने का आरोप लगाकर वो रिर्पोट वापस ले ली। इसके बाद 15 फरवरी को इंद्रजीत ने पत्रकार वार्ता बुलाकर गौरी पर पत्रिका के जरिए नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। गौरी ने इन आरोपो का सिरे से खंडन किया और बाद में उन्होंने अपनी कन्नड़ साप्ताहिक अखबार "गौरी लंकेश पत्रिके" का प्रकाशन शुरु किया था। 

इस वजह से विवादों में आईं गौरी
साल 2017 में जब गौरी लंकेश ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद से विवादों में घिर आई थी। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली गौरी हर मुद्दे पर अपनी राय रखती थी। 5 सितंबर 2017 को गौरी लंकेश को बेंगलुरु में उस वक्त मौत के घाट उतार दिया गया था, जब वे राज राजेश्वरी नगर स्थित अपने घर लौटकर दरवाज़ा खोल रही थीं। हमलावरों में उनके सीने में दो गोलियां और एक गोली सिर में मारी और गौरी इस दुनिया को छोड़कर चली गईं। बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुनील कुमार ने मीडिया को बताया था कि 5 सितंबर की शाम गौरी जब अपने घर लौटी, तब उनके घर के बाहर ये हमला हुआ था। इसके बाद मीडिया जगत के लोगों में रोष व्याप्त हो गया और पत्रकारिता से जुड़े लोगों ने दिल्ली में पत्रकारों की सेफ्टी को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया। 

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सीएम ने दिए जांच के आदेश 
गौरी के निधन के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। हर एंगल से इस हत्याकांड की जांच कराने के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) को गठित कर दिया। राज्य पुलिस के तेजतर्रार पुलिस अधिकारी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बी. के. सिंह और उपायुक्त एम. एन. अनुचेत को इस हत्याकांड की जांच का जिम्मा सौंपा गया। उन्होंने नक्सल और दक्षिणपंथी हिंदुत्व वाले एंगल पर मामले की जांच की। पुलिस ने इस मामले में काफी जांच की, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आया। पुलिस खुद इस केस से परेशान हो गई। लेकिन पुलिस की मेहनत रंग लाई और साल 2018 में पुलिस को पहला सुराग मिला। पुलिस ने नवीन कुमार उर्फ हॉटी मंजा नामक एक बदमाश को गिरफ्तार किया। उसके पास से अवैध हथियार बरामद हुआ। 7 दिन की पूछताछ के बाद उसने गौरी लंकेश के हत्यारों की मदद करने की बात कुबूल की। तीन महीने की कढ़ी मशक्कत के बाद पुलिस, गौरी के हत्यारों तक पहुंची। 

जांच टीम को दिया गया इनाम
आरोपी परशुराम वाघमारे से पुलिस द्वारा लंबी पूछताछ की गई और उसने सारी सच्चाई पुलिस को बता दी। उसने बताया कि उसने किसी के कहने पर गौरी लंकेश का मर्डर किया। क्योंकि वह हिंदू समाज की भावनाओं को आहत कर रही थी। साथ ही इस साजिश में शामिल, दूसरों लोगों के नाम भी उजागर हुए। जांच में सामने आया कि सभी आरोपी, महज साक्षर थे। उन्हें दुनियादारी की समझ नहीं थी। उन्हें ब्रेनवॉश करके गौरी लंकेश की हत्या का काम सौंपा गया था। इसके बाद भी यह जांच लंबी चलती रही, जिसमें कई लोगों के नाम सामने आए। इसी दौरान अगस्त 2019 में कर्नाटक सरकार ने गौरी लंकेश जांच से जुड़ी एसआईटी को उम्दा जांच के लिए 25 लाख रुपए का सम्मान दिया।  जांच अधिकारी (आईपीएस) एमएन अनुचेत, डिप्टी एसपी रंगप्पा और इंस्पेक्टर राजा को केंद्र सरकार ने "केंद्रीय गृह मंत्री पदक" से सम्मानित किया। 

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