झूठे विज्ञापनों के फेर में फंसे उपराष्ट्रपति, राज्यसभा में सुनाई आपबीती

झूठे विज्ञापनों के फेर में फंसे उपराष्ट्रपति, राज्यसभा में सुनाई आपबीती

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-29 18:46 GMT
झूठे विज्ञापनों के फेर में फंसे उपराष्ट्रपति, राज्यसभा में सुनाई आपबीती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। झूठे और भ्रामक विज्ञापन किस तरह उपभोक्ताओं को ठगते है, यह बताने की जरूरत नहीं क्योंकि हर कोई कभी न कभी ऐसे विज्ञापनों के फेर में फंसता है। आम ही नहीं खास भी इस तरह के विज्ञापनों का शिकार बनते रहे हैं। कुछ ऐसा ही एक किस्सा शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सुनने को मिला। यह किस्सा सुनाया देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा स्पीकर वेंकैया नायडू ने। दरअसल, हमारे उपराष्ट्रपति भी ऐसे ही झूठे विज्ञापनों के ठगी का शिकार हो चुके हैं।

उपराष्ट्रपति ने इस ठगी का किस्सा सुनाते हुए बताया कि कुछ दिनों पहले उन्होंने टीवी पर वजन घटाने वाला एक विज्ञापन देखा था, जिसमें दावा किया गया था कि एक टेबलट के नियमित सेवन से 28 दिन के अंदर वजन कम हो जाता है। वेंकैया ने बताया कि इस विज्ञापन को देखकर वे भी उसके जाल में फंस गए थे और करीब एक हजार रुपए का नुकसान करा बैठे।

राज्य सभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल द्वारा टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे फर्जी, झूठे और भ्रामक विज्ञापनों का मामला उठाने पर उप राष्ट्रपति ने यह किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया, "वजन घटाने का विज्ञापन को देखकर मैंने 1 हजार रुपए खर्च कर दवा मंगाई लेकिन पैसा चुकाने के बावजूद टैबलेट नहीं आया बल्कि उसकी जगह एक मेल आया जिसमें कहा गया था कि वजन घटाने के लिए आपको दूसरा टैबलेट लेना चाहिए, जिसकी कीमत एक हजार रुपए है। यह ऑरिजिनल टैबलेट आपको तभी भेजा जाएगा जब आप इसके भी पैसे चुका देंगे।"

सदन में इस किस्से को सुन जमकर ठहाके लगे। इसके बाद वेंकैया ने बताया कि जब उन्होंने इसके बारे में उपभोक्ता विभाग में शिकायत की तो पता चला कि यह कंपनी तो अमेरिका में स्थित है। वेंकैया नायडू के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार इस संबंध में एक सख्त बिल ला रही है, जिससे ऐसी कंपनियों और विज्ञापनों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।

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