लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में लव-कुश की शरण में बीजेपी, जातीय समीकरण में एनडीए गठबंधन को ऐसे मिलेगी बढ़त!

बिहार में बीजेपी का ट्रंप कार्ड लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में लव-कुश की शरण में बीजेपी, जातीय समीकरण में एनडीए गठबंधन को ऐसे मिलेगी बढ़त!

Dablu Kumar
Update: 2023-03-23 12:39 GMT
लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में लव-कुश की शरण में बीजेपी, जातीय समीकरण में एनडीए गठबंधन को ऐसे मिलेगी बढ़त!

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन को छोड़कर गए हैं। तब से ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं में बेचैनी बढ़ी हुई है। इस वक्त बीजेपी के आलाकमान को राज्य में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की चिंता सता रही है। शायद इसलिए भी पार्टी के चाणक्य अमित शाह पिछले छह महीने में चार बार बिहार का दौरा कर चुके हैं।   

गुरूवार को बिहार बीजेपी में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। पार्टी ने राज्य में कुशवाहा समाज से आने वाले युवा नेता सम्राट चौधरी को सांसद संजय जायसवाल की जगह बिहार बीजेपी का नया अध्यक्ष चुना है। मौजूदा समय में चौधरी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। बीजेपी के इस कदम को नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंधमारी के तौर पर देखा जा रहा है। 

बीजेपी की नई रणनीति

गौरतलब है कि, दो दशक पहले लव-कुश सम्मेलन बुलाने वाले नीतीश कुमार का वोट बैंक इसी समाज के इर्द-गिर्द ही घुमता रहा है। सीएम नीतीश लंबे समय तक इसके बड़े नेता बने रहे हैं लेकिन अब बीजेपी ने उप्रेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी के तौर पर नया कार्ड खेलकर लव-कुश समीकरण को तोड़ने की तैयारी कर ली है। मौजूदा स्थिति को देखें तो राज्य में कुशवाहा समाज का वोट बैंक करीब पांच से छह फीसदी माना जाता है, वहीं लव यानी कुर्मी समुदाय की आबादी 2.5  से तीन फीसदी तक मानी जाती रही है। 

इधर कुशवाहा समाज को सालों से इस बात का मलाल रहा है कि उनके समाज को केवल राजनीतिक फायदे के लिए यूज किया जा रहा है। हाल ही में जब उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश का साथ छोड़ा तब केंद्र सरकार ने उनका सुरक्षा घेरा बढ़ाते हुए उन्हें वाई प्लस कैटेगरी की सुविधा मुहैया करवा दी। 

बीजेपी का राजनीतिक समीकरण

इसके अलावा बीजेपी ने नीतीश कुमार के दो ओर कट्टर सियासी दुश्मनों का भी सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार ने इसी साल फरवरी में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के नेता और राज्य के पूर्व मंत्री मुकेश साहनी का सुरक्षा घेरा वाई प्लस कर दिया और जनवरी माह में लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान का भी सुरक्षा घेरा बढ़ाते हुए जेड कैटगरी में कर दिया। राज्य में इन चारों नेताओं के समाज का कुल वोट शेयर 12 फीसदी है। 

फिलहाल, बीजेपी इन वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए कोशिश कर रही है। बिहार में बीजेपी की चिंता इसलिए भी बढ़ी हुई है, क्योंकि उसे 2024 आम चुनाव में 2015 वाले विधानसभा चुनाव परिणाम जैसा हश्र होने का अंदेशा सता रहा है। पिछले दिनों आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी बिहार की जनता से अपील की थी कि उन्हें एक बार फिर 2015 के चुनाव के जैसा जनाधार चाहिए। 2015 में लालू और नीतीश की गठबंधन सरकार को 41.84 फीसदी वोट मिले थे। इस दौरान बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को सिर्फ 34.59 फीसदी वोट शेयर मिले थे। ऐसे में बीजेपी के पाले में यदि लव-कुश और पासवान समाज का वोट बैंक आता है तो बिहार में बीजेपी की स्थिति बेहतर हो सकती है। 
 

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