Exclusive: मंत्री गिरिराज सिंह बोले- नीली क्रांति से आएगी देश में अर्थक्रांति

Exclusive: मंत्री गिरिराज सिंह बोले- नीली क्रांति से आएगी देश में अर्थक्रांति

IANS News
Update: 2020-05-31 16:01 GMT
Exclusive: मंत्री गिरिराज सिंह बोले- नीली क्रांति से आएगी देश में अर्थक्रांति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि नीली क्रांति के माध्यम से देश में अर्थक्रांति आएगी। मोदी सरकार की दूसरी पारी के एक साल पूरे होने पर आईएएनएस से खास बातचीत में गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में मछली पालन की अपार संभावना है और अनाज की तुलना में मछली उत्पादन से आमदनी में करीब चार गुना वृद्धि हो सकती है।

कोरोना काल में जब देश की आर्थिक विकास की रफतार थम गई है तब अर्थक्रांति लाने की योजना बना रहे मोदी सरकार के मंत्री का कहना है देश में मछली उत्पादन में बढ़ोतरी से किसानों, मछुआरों और इसके कारोबार से जुड़े वेंडरों की आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि गेहूं या चावल की प्रति किलो औसत जितनी कीमत है उसकी तुलना में मछली की कीमत चार गुना तक है, इस प्रकार अनाज की तुलना में मछली पालन से किसानों और मछुआरों की आय में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल के दौरान मत्स्यपालन क्षेत्र की अहम पहल के तौर पर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) को देखा जा रहा है।

देश में मछली उत्पादन के लिए बुनियादी संरचना निर्माण से लेकर विपणन, संवर्धन के लिए इसी महीने केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 20,050 करोड़ रुपये निवेश का एलान किया है जो आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का हिस्सा है। गिरिराज सिंह ने कहा कि इससे नीली क्रांति की रफ्तार तेज होगी और अर्थक्रांति आएगी।

सरकार ने इस योजना के तहत 2024-25 तक देश में मछली उत्पादन बढ़ाकर 220 लाख मीट्रिक टन तक करने और निर्यात बढ़ाकर 1,00,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। कोरोना महामारी के दौर में देश के तकरीबन तमाम क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, ऐसे में मछुआरों के कारोबार पर असर पड़ने को लेकर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मछली के संबंध में वैसी स्थिति नहीं है जैसी स्थिति चिकन में हुई है। बता दें कि चिकन से कोरोना संक्रमण की अफवाह फैलने के कारण देश में पोल्ट्री कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

मोदी सरकार की दूसरी पारी में पिछले साल मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी का एक अलग मंत्रालय बनाया गया, इससे पहले यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आता था। नव सृजित मंत्रालय की की जिम्मेदारी गिरिराज सिंह को सौंपी गई। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में वह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।

गिरिराज सिंह ने कहा, इसको (मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय) एक अलग विभाग बनाने के लिए प्रधानमंत्री को मैं धन्यवाद देता हूं और देश के इतिहास के लिए यह भी एक क्रांतिकारी कदम है। गिरिराज सिंह 2014 में नवादा लोकसभा क्षेत्र से चुने जाने से पहले 2010-2013 बिहार सरकार में पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रहे हैं, इस प्रकार इस विभाग का उनके पास पुराना अनुभव भी है।

उन्होंने बताया, मछली पालन के क्षेत्र में 1947-2014 के दौरान भारत सरकार की ओर से मात्र 3680 करोड़ रुपए का निवेश किया गया जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नीली क्रांति की योजना बनाई, जिसमंे 3000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, इससे कुल 5000-6000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ और उसी निवेश के कारण हम आज 46,000 करोड़ रुपए का निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले मछली उत्पादन की सालाना वृद्धि दर जहां 4.7 फीसदी थी वहां अब सात फीसदी से ज्यादा हो गई है और निर्यात करीब 29000-30000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2018-19 में 46,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।

गिरिराज सिंह ने कहा, हमारे पास 22 लाख हेक्टेयर तालाब है, 31 लाख हेक्टेयर रिजरवायर है और 1.92 लाख किलोमीटर नहर और नदियां हैं। इयके अलावा समुद्र है। हम समुंद्र में केज कल्चर को बढ़ावा देने पर विचार कर रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हर तालाब, नदी, जलाशय, समुंद्र सब में मछली का उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावना है और इन संभावनाओं का तलाश और उसका फायदा उठाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

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