सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 फरवरी को सुनवाई करेगा

बीआरएस विधायक खरीद फरोख्त केस सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 फरवरी को सुनवाई करेगा

IANS News
Update: 2023-02-08 16:30 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को तेलंगाना पुलिस की उस याचिका पर 17 फरवरी को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, जिसमें हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें भाजपा द्वारा बीआरएस विधायकों की खरीद फरोख्त के प्रयास के पीछे कथित आपराधिक साजिश की सीबीआई जांच को बरकरार रखा गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मामले का जिक्र किया। लूथरा ने दलील दी कि मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि सीबीआई द्वारा जांच अपने हाथ में लेने के बाद मामला निष्फल (अर्थहीन) हो जाएगा।

पीठ में शामिल जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने सुनवाई के लिए पहले की तारीख देने से इनकार करते हुए कहा, यदि आवश्यक हुआ तो हम हाईकोर्ट के आदेश को उलट देंगे।

तेलंगाना हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने 6 फरवरी को एकल न्यायाधीश के 26 दिसंबर 2022 के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने के पहले के आदेश को बरकरार रखा। याचिका में तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने इस बात की सराहना नहीं की कि सीबीआई सीधे केंद्र के अधीन काम करती है और प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय के कार्यालय के नियंत्रण में है।

राज्य सरकार ने आरोप लगाया कि उसके चार विधायकों की खरीद-फरोख्त में भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं की संलिप्तता सरकार को गिराने की कोशिश थी। याचिका में कहा गया है कि भाजपा केंद्र सरकार सत्ता में है और प्राथमिकी में आरोप स्पष्ट रूप से और सीधे उक्त पार्टी के खिलाफ अवैध और आपराधिक कदम उठाने एवं तेलंगाना सरकार को अस्थिर करने के तरीके अपनाने के खिलाफ हैं, इसलिए माननीय हाईकोर्ट किसी भी मामले में सीबीआई को जांच नहीं सौंप सकता था।

रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी के रूप में नामित तीन लोगों, रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंदू कुमार और सिंहयाजी स्वामी को पहले ही जमानत दी जा चुकी है। प्राथमिकी के अनुसार, विधायक रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पिछले साल अक्टूबर में उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेशकश की और बदले में बीआरएस को छोड़ने को कहा।

यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने रेड्डी से भाजपा में शामिल होने के लिए 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश करके बीआरएस के कुछ और विधायकों को लाने के लिए कहा। पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया था, जिसमें राज्य पुलिस अधिकारी शामिल थे।

(आईएएनएस)

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