Farmers Protest: शरद पवार बोले- सरकार कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करें, किसानों के धैर्य की परीक्षा न लें

Farmers Protest: शरद पवार बोले- सरकार कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करें, किसानों के धैर्य की परीक्षा न लें

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-11 12:20 GMT
Farmers Protest: शरद पवार बोले- सरकार कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करें, किसानों के धैर्य की परीक्षा न लें

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृषि कानूनों के विरोध में 16 दिनों से किसान सड़कों पर है। दूसरी ओर इसे लेकर सियासी घमासान भी छिड़ा हुआ है। अब पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने सरकार से कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने की अपील की है। पवार ने कहा, सरकार को कृषि कानूनों के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए, इन कानूनों को बिना चर्चा के पारित किया गया था, सभी ने सरकार से कहा था कि वे इस पर चर्चा करें, लेकिन विपक्ष की बात को दरकिनार करते हुए सरकार ने कृषि कानूनों को संसद से जल्दबाजी में पारित किया।

शरद पवार ने कहा अभी यह आंदोलन दिल्ली की सीमाओं तक सीमित है। यदि सही समय पर निर्णय नहीं लिया गया तो यह आंदोलन अन्य जगहों पर फैल जाएगा। मैं अनुरोध करता हूं कि किसानों के धैर्य की परीक्षा न लें। इससे पहले शरद पवार ने 8 दिसंबर को किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद का भी समर्थन किया था। हालांकि यहां हम आपको यह भी बता दें कि  2004 से 2014 के बीच में देश के कृषि मंत्री के पद पर रहते हुए खुद शरद पवार ने कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश की जोरदार वकालत की थी। आज जिस एपीएमसी कानून के तहत आने वाले मंडियों को लेकर बवाल मचा है उस में निजी निवेश को लेकर शरद पवार ने अगस्त 2010 और नवंबर 2011 में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन शुक्रवार को 16वें दिनों से जारी है और किसान संगठनों के नेता तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। उन्होंने सरकार की ओर से दोबारा बातचीत शुरू करने की पेशकश ठुकरा दी है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार अगर कोई नया सकारात्मक प्रस्ताव लाए तो फिर बातचीत होगी। किसान अब 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली एक्सप्रेसवे को जाम करेंगे और 14 दिसंबर को देशभर में जिला स्तर पर डीसी के दफ्तरों के सामने मोर्चे निकाल कर धरना-प्रदर्शन करेंगे। बीजेपी के दफ्तरों के आगे भी धरना दिया जाएगा। 

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