गणतंत्र दिवस पर सबसे आगे वीवीआईपी के बैठने का कल्चर खत्म - रिक्शा वाले, ठेले वाले, श्रमजीवी कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस पर सबसे आगे बैठेंगे

दिल्ली गणतंत्र दिवस पर सबसे आगे वीवीआईपी के बैठने का कल्चर खत्म - रिक्शा वाले, ठेले वाले, श्रमजीवी कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस पर सबसे आगे बैठेंगे

IANS News
Update: 2023-01-21 11:01 GMT
गणतंत्र दिवस पर सबसे आगे वीवीआईपी के बैठने का कल्चर खत्म - रिक्शा वाले, ठेले वाले, श्रमजीवी कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस पर सबसे आगे बैठेंगे
हाईलाइट
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस बार गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में होने वाली परेड को देखने के लिए कर्तव्य पथ पर सबसे आगे वीवीआईपी नहीं बैठेंगे। बल्कि उनकी जगह श्रमजीवी, रिक्शे वाले ठेले वाले, मजदूर तबके के लोग कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड में सबसे आगे बैठे दिखाई देंगे।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने एक जो नया फैसला लिया है। इस फैसले की खूब सराहना और चर्चा भी हो रही है। वह फैसला यह है कि कर्तव्य पथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए सबसे आगे श्रमजीवी, मजदूर, रिक्शे वाले, ठेले वाले मजदूर तबके के लोगों को बिठाया जाएगा। जबकि पहले ऐसा कभी नहीं होता था। गणतंत्र दिवस की परेड में सबसे आगे की पंक्ति में वीवीआईपी बैठा करते थे। केंद्र सरकार की तरफ से अपने आप में एक नया फैसला लिया गया है। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि मजदूर तबके के लोग जो दिन रात मेहनत मजदूरी करते हैं ऐसे श्रमजीवी, मजदूरों, रिक्शा वाले, ठेले वालों को गणतंत्र दिवस के मौके पर सबसे आगे बिठाया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार ऐसे श्रमजीवी लोग जिन्होंने सेंट्रल विस्ता बनाने में मदद की वह भी गणतंत्र दिवस की परेड में सबसे आगे पहली पंक्ति में बैठेंगे। इसके अलावा इस गणतंत्र दिवस को होने वाली परेड पर सब्जी वाले, रिक्शा वाले, ठेला वाले लोग सबसे आगे वाली पंक्ति में बैठेंगे। जबकि यह सबसे आगे वाली पंक्ति वीवीआईपी लोगों के लिए रिजर्व होती थी। केंद्र सरकार के द्वारा जिन श्रमिकों ने सेंट्रल विस्टा बनाने में मदद की वह और उनके परिवार कर्तव्य पथ का रखरखाव करने वाले कर्मचारी, छोटे किराना वाले, सब्जी वाले, ठेले वाले गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए सबसे आगे पहली पंक्ति में बैठेंगे। जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार के इस फैसले का उद्देश्य गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा श्रमजीवी और आम लोगों को शामिल करना है।

 

आईएएनएस

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