उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब के बाद विधायकों की बगावत क्या गोवा में भी सीएम बदलने पर मजबूर कर देगी?

अब गोवा की बारी! उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब के बाद विधायकों की बगावत क्या गोवा में भी सीएम बदलने पर मजबूर कर देगी?

ANAND VANI
Update: 2021-09-20 10:23 GMT
उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब के बाद विधायकों की बगावत क्या गोवा में भी सीएम बदलने पर मजबूर कर देगी?

डिजिटल डेस्क, गोवा। अगले साल होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदलने की रणनीति बनाई है ताकि चुनाव में कोई नुकसान ना उठाना पड़ें। जिन राज्यों में बीजेपी सरकार है वहां अभी तक तीन राज्यों के सीएम की कुर्सी बदली जा चुकी है।

राजनीतिक विश्लेषको का मानना है सूबे की गद्दी बदलने की रणनीति के सहारे बीजेपी एंटीइनकंबेसी को कम करना चाहती है। इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी कुर्सी बचाने में सक्सेस रहे। तीन राज्यों उत्तराखंड ,कर्नाटक ,गुजरात में सीएम बदलकर बीजेपी का ये साफ इशारा है कि आने वाले चुनाव में पार्टी किसी भी तरह नुकसान नहीं उठाना चाहती है। सीएम का चेहरा बदलकर राज्यों में बन रही नई सरकार में सूबे के जातीय  समीकरण को ध्यान में रखा जा रहा है। बीजेपी के बाद अब कांग्रेस भी इसी तर्ज पर आगे बढ़ती नजर आ रही है। विधायकों की बगावत के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे मुखिया का चेहरा बदल कर कांग्रेस ने मैसेज दे दिया है कि जरूरत पड़ी तो वो भी सख्त फैसले लेने से नहीं चूकेगी। 

अब गोवा की बारी?

अगले साल  होने जा रहे पांच राज्यों की सूची में गोवा भी शामिल है। जिस तरह रातों रात बीजेपी सीएम चेहरा बदल देती है। उससे यही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या अब गोवा की बारी है, या फिर असम के सर्बानंद सोनोवाल की तर्ज पर वर्तमान सीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा और ऐन वक्त सीएम किसी और को बना दिया जाएगा। बता दें कि जिस तरह सीएम के खिलाफ अंदरूनी बगावत दूसरे राज्यों में जारी थी उसी तरह सावंत का विरोध भी उन्हीं के विधायक गाहे बगाहे कहते रहते हैं।

सर्बानंद की राह पर सावंत?

कुछ दिन पहले खबर चली कि गोवा में अगले साल होने जा रहे चुनाव में बीजेपी सीएम प्रमोद सांवत के चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इसी बीच कोरोना प्रबंधन को लेकर स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे से सीएम की खींचतान ने खूब सुर्खियां बटोरी। कुछ समूहों ने सावंत का जमकर विरोध किया।इसके बावजूद भी बीजेपी उनके नेतृत्व में इलेक्शन लड़ने का प्लान बना चुकी है। वहीं पार्टी के एक सूत्र के अनुसार सावंत के नेतृत्व में चुनाव लड़ना इस बात की कोई गांरटी नहीं है कि चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी सत्ता में लौटी तो सावंत को फिर से सीएम बनाया जाए। आप सबने देखा असम में क्या हुआ। चुनाव सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में लड़ा और परिणाम आने के बाद सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को बना दिया।

राणे और सावंत के बीच खींचतान?

कुछ दिन पहले केंद्रीय नेताओं ने गोवा का दौरा किया था और राणे व सावंत के बीच चली खींचतान के मुद्दे को हल करने को कहा ,वहीं पार्टी के कुछ नेता राणे को महत्वाकांक्षी बताते है। विश्वजीत राणे पूर्व सीएम प्रताप सिंह रावजी के बेटे हैं और उन्हें लगता है कि उनमें क्षमताएं है और वो एक मौके के हकदार है।

  

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