गागुंली की आत्मकथा में हुआ खुलासा, इनके कहने पर ग्रेग चैपल ने दादा से लिया पंगा 

गागुंली की आत्मकथा में हुआ खुलासा, इनके कहने पर ग्रेग चैपल ने दादा से लिया पंगा 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-26 09:23 GMT
गागुंली की आत्मकथा में हुआ खुलासा, इनके कहने पर ग्रेग चैपल ने दादा से लिया पंगा 

डिजिटल डेस्क। भारत के महान कप्तान सौरव गांगुली की आत्मकथा ‘’A Century Is Not Enough’’ के लॉन्च होने के साथ ही भारतीय क्रिकेट से जुड़े कई खुलासे हो रहे हैं। जाहिर है गांगुली की इस आत्मकथा में उनके फैंस की सबसे ज्यादा दिलचस्पी गांगुली-ग्रेग चैपल विवाद को लेकर ही है। हर कोई विस्तार से इस पूरे प्रकरण को पढ़ना चाहता है। ये तो हर कोई जानता है कि ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का कोच बनाने की जिद करने वाले दादा ही थे और बाद में चैपल ने ही उन्हें न केवल कप्तानी से हटवाया बल्कि टीम से उनकी जगह भी छीन ली।

                                         


चैपल से दोस्ती के पीछे गांगुली का दूसरा ही मकसद था   

सौरव गागुंली ने चैपल से जुड़े पूरे प्रकरण को तीन चैप्टरों में बांटा है। इसकी शुरूआत ऑस्ट्रेलिया से होती है जहां पर गागुंली ग्रेग चैपल से बल्लेबाजी के टिप्स लेने पहुंचे थे। दरअसल इसके पीछे दादा का मकसद कुछ और ही था। भारतीय टीम को 2003-04 में ऑस्ट्रेलिया के लम्बे दौरे पर जाना था और गांगुली चाहते थे कि टीम इंडिया कंगारुओं के घर में जाकर उन्हें अपना दम दिखाएं। इसी वजह से गागुंली ने चैपल से मिलने की इच्छा जाहिर की और उनसे बल्लेबाजी के टिप्स लेने के बहाने ऑस्ट्रेलियाई पिचों की रेकी करने गए। सबसे बड़ी बात ये है कि गांगुली ने अपना सारा प्लान इतना गुप्त रखा कि बीसीसीआई तक को नहीं मालूम था कि गांगुली असल में ऑस्ट्रेलिया क्यों जा रहे हैं। सभी को यही पता था कि वो चैपल से बल्लेबाजी के गुर लेने गए हैं।

ऑस्ट्रेलियाई कंडीशन को परखने में गांगुली रहे कामयाब  

चैपल एक तरफ गागुंली को बल्लेबाजी के टिप्स देते रहे, वहीं दादा का ध्यान इस बात को जानने में था कि ऑस्ट्रेलियाई कंडीशन में गेंदबाज गेंद को किस तरह पिच करते हैं और वहां के आयताकार मैदानों में किस जगह पर फील्डर रखना बेहतर रहेगा। इन सभी बातों को अच्छी तरह से जान लेने के बाद गांगुली भारत लौट आए और बीसीसीआई से टीम को दौरे से तीन हफ्ते पहले ही ऑस्ट्रेलिया भेजने की बात कही। इससे टीम को वहां के मौसम में ढलने के लिए समय मिलता और आखिर में हुआ भी कुछ ऐसा ही। दादा की बात सच साबित हुई। इस दौरे पर भारतीय खिलाड़ी जितने सहज थे वैसे पहले कभी नहीं रहे।

                                            


गांगुली से नाराज हो गए थे टीम इंडिया के कोच जॉन राइट 

ग्रेग चैपल और गांगुली की इस मुलाकात की खबर जब तत्कालीन कोच जॉन राइट को पता चली वो काफी नाराज हुए थे। हालांकि बाद में जॉन राइट ने गागुंली को ये कहते हुए माफ किया कि बतौर कप्तान उन्होंने टीम के लिए कुछ अच्छा ही सोचा होगा। भारत का ये दौरा इतिहास में दर्ज हो गया। गाबा के मैदान पर कप्तान गांगुली ने जबरदस्त शतक जड़ा और बाद में टीम इंडिया ने 1-1 से ये सीरीज बराबर कर ली। बाद में जॉन राइट के साथ टीम इंडिया का करार खत्म हो गया और राइट भारत की सुनहरी यादों के साथ घर लौट गए।

चैपल को कोच बनाने के लिए गांगुली जिद पर अड़ गए 

जॉन राइट के जाने के बाद अब बारी थी विश्व क्रिकेट में धाक जमा रही टीम इंडिया के लिए एक दमदार कोच तलाशने की। कप्तान गागुंली पहले ही मन बना चुके थे कि उनके प्रिय बन चुके चैपल को ही ये जिम्मेदारी मिले और जैसा कि तय था, दादा ने बीसीसीआई से चैपल को कोच बनाने के सलाह दी। महान सुनील गावस्कर को जब ये बात पता चली तो उन्होंने दादा को समझाया कि एक कोच के तौर पर ग्रेग चैपल का रिकॉर्ड बहुत कमजोर है और उनका तानाशाह जैसा बर्ताव टीम के लिए खराब रहेगा। इतना ही नहीं खुद ग्रेग चैपल के भाई इयान चैपल ने भी बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया से कहा कि उनके भाई ग्रेग भारत का कोच बनने के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं। गांगुली, जो कि ग्रेग चैपल के व्यक्तित्व से मंत्रमुग्ध थे, उन्होंने सभी की सलाहों को दरकिनार कर ग्रेग चैपल को ही टीम के अगले कोच के तौर पर मांगा।

पहले ही दौरे पर गांगुली समझ गए कि उनसे गलती हो गई 

टीम इंडिया के साथ चैपल की शुरुआत जिम्बॉब्वे के टूर से हुई। इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलने के बाद जब दादा टीम के साथ जुड़े तो उन्हें सबकुछ बदला-बदला सा महसूस हुआ। उन्हीं की पैरवी पर कोच बनाए गए चैपल का रवैया कप्तान गांगुली के साथ बदला हुआ सा था। यहीं से गागुंली और चैपल के बीच विवाद की शुरुआत होती है। इसे दौरे के बाद चैपल ने बीसीसीआई से गांगुली की शिकायत करते हुए एक लम्बा सा मेल लिखा कि टीम के खिलाड़ी गांगुली से डरते हैं और खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पाते। अगर टीम को 2007 का वर्ल्ड कप जीतना है तो गांगुली से कप्तानी लेकर किसी और को देनी होगी।

जब सारा देश टीम के कोच ग्रेग चैपल के खिलाफ खड़ा हो गया 

चैपल ने जिस तरह से गांगुली की शिकायतें की वो सब अखबारों में आ गई और बस यहीं से भारतीय क्रिकेट प्रंशसक चैपल के खिलाफ खड़े हो गए। चैपल और गांगुली विवाद से देश का माहौल खराब हो रहा था ऐसे में बीसीसीआई ने दोनों के साथ मीटिंग की और इसके बाद चैपल ने गांगुली के साथ अकेले में बात करने की इच्छा जाहिर की लेकिन गांगुली इसके लिए तैयार नहीं हुए। चैपल ने बोर्ड को अपने विश्वास में ले रखा था और इसका नतीजा ये हुआ कि गागुंली को एकाएक न केवल कप्तानी से हटाया गया बल्कि टीम में उनका स्थान भी छीन लिया गया।

                                      


खराब फिटनेस और फॉर्म का बहाना देकर गागुंली किए गए बाहर  

टीम इंडिया की जिम्मेदारी राहुल द्रविड़ को सौंपी गई और दादा को उनकी खराब फिटनेस और फॉर्म की बात कहकर टीम से निकाल दिया गया। भारत का वो कप्तान जिसने टीम के खिलाड़ियों को दुनिया की सबसे बड़ी टीमों को आंख दिखाना सिखाया था और टीम में जीत की आदत डाली वो टीम से भी बाहर था। इस किताब में गांगुली ने लिखा है कि उन्होंने पिछली सीरीज में ही सेंचुरी लगाई थी और तब भी उन्हें खराब फॉर्म के बहाने बाहर कर दिया गया। उन्हें दोबारा टीम में आने के लिए फिटनेस और फॉर्म साबित करने को कहा गया और गांगुली ने ये भी किया।

जॉन राइट ने भरे थे गागुंली के खिलाफ चैपल के कान ?

अपनी आत्मकथा में गांगुली ने लिखा है कि उनके एक करीबी जर्नलिस्ट ने उन्हें बताया था कि चैपल के मन में उनके खिलाफ जहर किसी और ने नहीं बल्कि टीम इंडिया के पूर्व कोच जॉन राइट ने भरा था। हालांकि दादा इस बात को नहीं मानते। उनके मुताबिक जॉन राइट उनके अच्छे दोस्त हैं और उनकी फैमिली का हिस्सा हैं तो ऐसे में उन्हें यकीन नहीं कि उन्होंने ऐसा किया होगा। किताब में दादा ने तीन चैप्टर सिर्फ चैपल और अपने संबंधों पर ही लिखा है। इससे साबित होता है कि उनमें मन से चैपल के लिए कड़वाहट अब नहीं गई है। इस किताब में और भी कई दिलचस्प किस्सों को बयां किया गया है। भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के लिए ये किताब बेहतरीन जरिया है भारतीय क्रिकेट के सुनहरे दौर की यादों को ताजा करने का।  

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